मुक्ता वाणी

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शिष्य का कर्तव्य है गुरु के पवित्र मुख से जो आज्ञाएँ निकले उनका पालन करना यही सनातन धर्म की मर्यादा भी है।

सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है जबकि दुख व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है।

दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण, व्यक्ति का जीवन ही सफल जीवन है जीवन में क्या करना है वो बात हमें रामायण सिखाती है, जीवन में हमें क्या नही करना चाहिए वो हमें महाभारत सिखाती है, जीवन कैसे जीना है वो हमें भगवत गीता सिखाती है!

अपने अंदर खुशी ढूंढना आसान नहीँ और सच्च ये भी है इसे और ढूंढना सम्भव भी नहीँ…अनुठी ज़िन्दगी उसी की बनती है जो संघर्ष की भट्टी में तपता है, ध्यान रहे सब्र की दौलत से मालामाल रहने वाला ही सबसे बड़ा सुखी है जिसे कष्ट हो ही नही सकता!

साहसी का इरादा कभी अधूरा नहीँ होता कर्म अच्छे हो तो जीवन मे अंधेरा नहीँ होता।
कामयाबी का इन्तज़ार करने से बेहतर है उसके लिए कोशिश करना।

ज्ञात रहे कोई कितना भी बड़ा क्यो न हो आँखे मूँदकर उसके पीछे मत चलिए क्या पता उसका रास्ता ही गलत हो।

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