प्रभु राम क्या गाऊं कैसे तुम्हें रिझाऊं,
प्रभु राम तुम धकङकन में समाये हो
दिल के हर कोने से,
पुकार तुम्हारी आती है
फिर भी दिल प्यासा रह जाता है।
प्रभु राम क्या गाऊं कैसे तुम्हें रिझाऊं,
ये आनंद की लहरे,
तुम मे समाने नहीं देती है।
लहर उठ कर दिल को भटकाती है।
प्रभु राम मेरे विनती यही
समेट लो मुझको अपने में।
आनन्द की लहरो में कहीं भटक न जाऊं।
प्रभु राम क्या गाऊं, कैसे तुम्हें रिझाऊं,
हृदय को थाम लो प्रभु राम , हृदय तुम्हारा है
भक्त भगवान से प्रार्थना में कहता है,
आनंद का मार्ग टेढा मेढ़ा है।आनन्द मे प्रभु
तङफ चिर स्थायी है,
तङफ में कुछ खोने का डर नहीं है।
तङफ प्रभु द्वार पर दस्तक देती है।
तङफ के मार्ग पर चलकर,
मार्ग तय किये जाते हैं।
प्रभु राम क्या गाऊं कैसे तुम्हें रिझाऊं,
जय श्री राम अनीता गर्ग
Lord, what should I sing, my Lord, you are included in the heartbeat, your call comes in every corner of the heart, yet the heart remains thirsty.
These waves of bliss do not allow you to merge. The wave rises and makes the heart wander. Lord, I request you to collect me in yourself. Don’t go astray in the waves of joy.
Take hold of your heart Lord, this heart is yours, you are involved in the heartbeat. The devotee says in prayer to God that the path to happiness is crooked and rammed.
Longing is permanent, there is no fear of losing anything in longing. Temperance knocks straight at the Lord’s door. The routes are decided by walking on the path of tangf. Jai Shri Ram Anita Garg