प्रेमरस से युक्त किशोरी जी! हे किशोर अवस्था वाली राधिके! हे प्रेमरस में सराबोर वृषभानुदुलारी! मेरे ऊपर भी कृपा की दृष्टि करो।
हे किशोरी जी! मैं समस्त साधनों से रहित एवं अकिंचन हूँ और तुम अगाध प्रेम वाली अकारण-करूण हो, फिर हम तुम्हें छोड़कर किसके द्वार पर अपना दुःख सुनाने जायें।
साधन हीन, दीन मैं राधे,तुम करुणामयी प्रेम-अगाधे,काके द्वारे,जाय पुकारे,कौन निहारे दीन-दुखी की ओर यदि जायें भी तो मुझ अधम की ओर कौन देखेगा।
हे किशोरी जी!निरन्तर पापों को करते हुए मेरा पेट कभी नहीं भरता एवं शूकर की भाँति सदा भटकता हुआ विषय रूपी विष्ठा को ही खोजा करता हूँ।
हे किशोरी जी! तुम्हारे बिना दूसरा कौन है जो अपनी अकारण कृपा से बरबस मेरी विगडी बना दे।
हे वृषभानुनंदिनी!मैं भला-बुरा जैसा भी हूँ तुम्हारा ही तो हूँ। तुम्हारे बिना मेरा हितैषी दूसरा है ही कौन ?
भलो-बुरो जैसो हूँ तिहारो,तुम बिन कोउ न हितु हमारोभानुदुलारी सुधि लो हमारी,
शरण् तिहारी,हौं पतितन सिरमौर।हे भानुदुलारी! यद्यपि हम पतितो के सरदार हैं फिर भी अब तुम्हारी शरण मे आ गये हैं। हमारे ऊपर कृपा करो।
हे रासेश्वरी! मुझे किसी प्रकार भी गोपी-प्रेम की भिक्षा देकर अपनी बना लो।जिससे मैं तुम्हारे प्रेम में पागल होकर, तुम्हारे गुणों को गाते हुए एवं आँखों से आँसू बहाते हुए अपना जीवन व्यतीत करूँ।
गोपी-प्रेम की भिक्षा दीजै,कैसेहु मोहिं अपनी करि लीजै
हे किशोरी जी! तुमसे प्रेम प्राप्त करके प्रेम-रस में विभोर होकर मैं ब्रज की गली-गली में दीवाना बनकर डोला करूँ।
सुन्दरता से भी अधिक सुन्दर, मतवाले हाथी के समान चाल वाली अपनी स्वामिनी को देखकर भक्त कहते हैं कि मेरी आँखे कब चकोर के समान रूपमाधुरी का पान करेंगी ?
Kishori ji full of love! Oh teenage Radhika! O Vrishabhanudulari drenched in love! Look kindly on me also. Hey Kishori ji! I am devoid of all resources and helpless and you are causeless and pitiful with immense love, then at whose door should we leave you and go to express our sorrow. Radhe, I am destitute and destitute, you are the door of compassionate love, please come and call, who will look at the destitute, even if I go towards the poor, who will look at me, the wretched one? O Kishori ji! By continuously committing sins, my stomach is never filled and like a pig, I always wander in search of the excreta in the form of objects. Hey Kishori ji! Who else is there without you who can make me miserable with his unexplained kindness? O Vrishabhanunandini! I am yours no matter whether I am good or bad. Who else is my well-wisher without you? Whatever be the good or the bad, I am Tiharo, without you I am not for anyone’s benefit, remember me dearly, Sharan Tihari, I am the beloved of Sirmaur. O Bhanudulari! Even though we are the leaders of the fallen, we have now come under your protection. Have mercy on us. Hey Raseshwari! Make me yours by giving me the alms of Gopi love in any way possible, so that I can spend my life being madly in love with you, singing your praises and shedding tears from my eyes. Gopi – Give me alms of love, how can I captivate you? Hey Kishori ji! Having received love from you, I will be filled with love and dance like a crazy person in the streets of Braj. Seeing his mistress who is more beautiful than beauty and whose gait is like that of an intoxicated elephant, the devotee says, When will my eyes drink the sweetness of beauty like that of a chakor?