. एक बार एक व्यक्ति था। वह एक संत जी के पास गया। और कहता है कि संत जी, मेरा एक बेटा है। वो न तो पूजा पाठ करता है और न ही भगवान का नाम लेता है। आप कुछ ऐसा कीजिये कि उसका मन भगवान में लग जाये।
संत जी कहते है- “ठीक है बेटा, एक दिन तू उसे मेरे पास लेकर आ जा।” अगले दिन वो व्यक्ति अपने बेटे को लेकर संत जी के पास गया। अब संत जी उसके बेटे से कहते है- “बेटा, बोल राधे राधे।” बेटा कहता है- “मैं क्यू कहूँ ?” संत जी फिर कहते हैं- “बेटा बोल राधे राधे।” वो इसी तरह से मना करता रहा और अंत तक उसने यही कहा कि- “मैं क्यू कहूँ राधे राधे ?”
संत जी ने कहा- जब तुम मर जाओगे और यमराज के पास जाओगे तब यमराज तुमसे पूछगे कि कभी भगवान का नाम लिया। कोई अच्छा काम किया। तब तुम कह देना की मैंने जीवन में एक बार ‘श्री राधा रानी’ के नाम को बोला है। बस एक बार। इतना बताकर वह चले गए। समय व्यतीत हुआ और एक दिन वो मर गया। यमराज के पास पहुँचा। यमराज ने पूछा- ‘कभी कोई अच्छा काम किया है ?” उसने कहा- “हाँ महाराज, मैंने जीवन में एक बार ‘श्री राधा रानी’ के नाम को बोला है। आप उसकी महिमा बताइये।” यमराज सोचने लगे कि एक बार नाम की महिमा क्या होगी, इसका तो मुझे भी नही पता है ? यम बोले- “चलो इंद्र के पास वो ही बतायेगे।” तो वो व्यक्ति बोला, “मैं ऐसे नही जाऊँगा पहले पालकी लेकर आओ उसमे बैठ कर जाऊँगा।”यमराज ने सोचा ये बड़ी मुसीबत है। फिर भी पालकी मंगवाई गई और उसे बिठाया। 4 कहार (पालकी उठाने वाले) लग गए। वो बोला यमराज जी सबसे आगे वाले कहार को हटा कर उसकी जगह आप लग जाइये। यमराज जी ने ऐसा ही किया। फिर सब मिलकर इंद्र के पास पहुँचे और बोले कि एक बार ‘श्री राधा रानी’ के नाम लेने की महिमा क्या है ?
इंद्र बोले- “महिमा तो बहुत है। पर क्या है ये मुझे भी नही मालूम। बोले की चलो ब्रह्मा जी को पता होगा वो ही बतायेगे।” वो व्यक्ति बोला इंद्र जी ऐसा है दूसरे कहार को हटा कर आप यमराज जी के साथ मेरी पालकी उठाइये। अब एक ओर यमराज पालकी उठा रहे है और दूसरी तरफ इंद्र लगे हुए है। पहुँचे ब्रह्मा जी के पास। ब्रह्मा ने सोचा कि ऐसा कौन सा प्राणी ब्रह्मलोक में आ रहा है जो स्वयं इंद्र और यमराज पालकी उठा कर ला रहे है। ब्रह्मा के पास पहुँचे। सभी ने पूछा कि एक बार ‘श्री राधा रानी’ के नाम लेने की महिमा क्या है ? ब्रह्मा जी बोले- “महिमा तो बहुत है पर वास्तविकता क्या है कि ये मुझे भी नही पता। लेकिन हाँ भगवान शिव जी को जरूर पता होगा।” वो व्यक्ति बोला कि तीसरे कहार को हटाइये और उसकी जगह ब्रह्मा जी आप लग जाइये। अब क्या करते महिमा तो जाननी थी। अब पालकी के एक ओर यमराज है, दूसरी तरफ इंद्र और पीछे ब्रह्मा जी है। सब मिलकर भगवान शिव जी के पास गए और भगवान शिव से पूछा कि प्रभु ‘श्री राधा रानी’ के नाम की महिमा क्या है ? केवल एक बार नाम लेने की महिमा आप कृपा करके बताइये।
भगवान शिव बोले कि मुझे भी नही पता। लेकिन भगवान विष्णु जी को जरूर पता होगी। वो व्यक्ति शिव जी से बोला की अब आप भी पालकी उठाने में लग जाइये। इस प्रकार ब्रह्मा, शिव, यमराज और इंद्र चारों उस व्यक्ति की पालकी उठाने में लग गए और विष्णु जी के लोक पहुँचे। विष्णु से जी पूछा कि एक बार ‘श्री राधा रानी’ के नाम लेने की महिमा क्या है ?
विष्णु जी बोले- “अरे ! जिसकी पालकी को स्वयं मृत्यु का राजा यमराज, स्वर्ग का राजा इंद्र, ब्रह्म लोक के राजा ब्रह्मा और साक्षात भगवान शिव उठा रहे हों इससे बड़ी महिमा क्या होगी। जब सिर्फ एक बार ‘श्री राधा रानी’ नाम लेने के कारण, आपने इसको पालकी में उठा ही लिया है। तो अब ये मेरी गोद में बैठने का अधिकारी हो गया है।” भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है की जो केवल ‘रा’ बोलते है तो मैं सब काम छोड़ कर खड़ा हो जाता हूँ। और जैसे ही कोई ‘धा’ शब्द का उच्चारण करता है तो मैं उसकी ओर दौड़ लगा कर उसे अपनी गोद में भर लेता हूँ। तो प्रेम से कहिये – जय जय श्री राधे
, Once upon a time there was a person. He went to a saint. And says that Sant ji, I have a son. He neither recites worship nor takes the name of God. You do something such that his mind should be fixed in God.
Saint ji says- “Okay son, one day you bring him to me.” The next day the person took his son and went to the saint. Now the saint says to his son- “Son, Bol Radhe Radhe.” Son says- “Why should I say?” The saint then says- “Son, bol Radhe Radhe.” He kept refusing in this way and till the end he said – “Why should I say Radhe Radhe?”
The saint said- When you will die and go to Yamraj, then Yamraj will ask you if you ever took the name of God. Did a good job. Then you say that I have spoken the name of ‘Shri Radha Rani’ once in my life. Only once. Having said this, he left. Time passed and one day he died. Reached Yamraj. Yamraj asked- ‘Have you ever done any good work? You tell its glory.” Yamraj started thinking that once I do not even know what will be the glory of the name? Come get the palanquin, I will go and sit in it.” Yamraj thought this is a big problem. Still, the palanquin was ordered and made it sit. 4 Kahars (palki lifters) were engaged. He said Yamraj ji by removing the frontmost Kahar and replacing him. Come on.
Indra said – “There is a lot of glory. But I do not even know what it is. He said that let Brahma ji know, he will tell.” That person said, Indra ji, it is like this, after removing the other havoc, you pick up my palanquin with Yamraj ji. Now Yamraj is lifting the palanquin on one side and Indra is engaged on the other side. Reached Brahma ji. Brahma thought that which such creature is coming to Brahmaloka, who himself is bringing the palanquin to Indra and Yamraj. reached Brahma. Everyone asked what is the glory of taking the name of ‘Shri Radha Rani’ once? Brahma ji said – “There is a lot of glory but what is the reality that even I do not know it. But yes Lord Shiva must have known.” That person said that remove the third Kahar and you should take Brahma ji in its place. You had to know what Mahima was doing now. Now Yamraj is on one side of the palanquin, Indra is on the other side and Brahma is behind. Everyone together went to Lord Shiva and asked Lord Shiva that what is the glory of the name of Lord ‘Shri Radha Rani’? Please tell me the glory of taking the name only once.
Lord Shiva said that even I do not know. But Lord Vishnu must have known. That person told Shiva that now you too should start lifting the palanquin. Thus Brahma, Shiva, Yamraj and Indra all four engaged in lifting that person’s palanquin and reached the world of Vishnu ji. Asked Vishnu what is the glory of taking the name of ‘Shri Radha Rani’ once?