म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
लॉकडाउन हटा भोले कावड को तरस ते है
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
हरी द्वार की नगरी में भोले मेले लगते है
हरी की पोड़ी गूंजे जय कारे लगते है,
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
नंदी की सवारी है केलाश के वासी हो
हर हर बम बम भोले डमरू भी भजते है,
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
नर नारी सब भोले कावड तेरी लाते है
जल भर कर के भोले किरपा तेरी पाते है
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
चाहे पड़ जावे छाले पग फिर भी ना रुकते है
दया दृष्टि से तेरी भोले मंजिल को पाते है
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
काँधे धर कर भोले कावड़िया जो चलते है
छम छम बाजे धुंगरु नागर शंख भी बजते है
म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है
My mind yearns to meet the naive
Bhole Kavad has a longing to remove the lockdown
My mind yearns to meet the naive
Bhole fairs are held in the city of green gates.
Hari ki podi goonje jai kare lage hain,
My mind yearns to meet the naive
Nandi’s ride is a resident of Kelash
Har Har Bam Bam Bhole Damru also chants,
My mind yearns to meet the naive
Male and female all the innocent kavad brings you
Filling with water, the innocent get your kirpa
My mind yearns to meet the naive
Even if the blisters fall, the steps still do not stop.
With kindness, your innocent people find their destination.
My mind yearns to meet the naive
The innocent Kavadiyas who walk by holding their shoulders
Cham Cham Baje Dhungru Nagar conch also blows
My mind yearns to meet the naive