ध्यान के कितने स्तर होते हैं , ध्यान कैसे घटित होता है ?

बहुत सारे साधकों के अपने अपने विचार हैं ! कोई साधक किसी की लिखी पुस्तक पढ़ लेता है और उसी से तर्क वितर्क शुरू करने लगता है ! जबकि ध्यान पूरी तरह अनुभव का विषय है इसका कोई विज्ञान नही होता , ध्यान असीमित है ! यह जरूरी नहीं है कि ध्यान जैसे मुझे घटित हुआ वैसा ही आपको भी होगा ! सबके शरीर की ध्यान साधना की क्षमता अलग अलग होती है ! ऐसा जरूरी नही कि जब आप विचारों के प्रति होशपूर्वक होंगे तभी ध्यान जैसी स्थिति आपको उत्पन्न होगी ऐसा बिल्कुल नही ! जिन साधकों को ध्यान घटित होता है उनको विचारो के प्रति होशपूर्वक होने की जरूरत नही नही पड़ती ! वो केवल आंखें बंद करके बैठते हैं और अपना शरीर शिथिल और स्थिर कर देते हैं फिर उनका कार्य उनकी सांसे करना शुरू करती हैं ! उनकी सांसे अपने आप ही धीमी और मध्यम गति से चलने लगती है , उनका पूरा होश उनकी सांसों के प्रति होता है ,विचारों से उनका कोई लेना देना नही होता ! पूरा होश उनकी सांसों पर ही होता है और उन सांसों के माध्यम से उनके सातों चक्रों में से किसी एक चक्र पर 
संसेशन शुरू हो जाता है !
       जैसे किसी साधक को उसके विशुद्ध चक्र में संसेशन शुरू होने लगता है तो वह इसी चक्र के संसेशन में डुबा चला जाता है इसी में बना रहता है और उसी विशुद्ध चक्र के पास जो संसेशन है वो ऊपर बढ़ने लगता है !  कभी वह संसेशन आज्ञाचक्र में आता है तो साधक उसमे डुबा रहता है तो कभी सहस्त्रकार में डुबा रहता है ! जबकि ये संसेशन अपने आप ही होते हैं ! ये संसेशन सातों चक्र में से किसी भी चक्र पर हो सकता है यह साधक की अपनी साधना पर निर्भर करता है ! चक्रों के संसेशन में डुबा हुआ साधक धीरे धीरे शून्यता में भी प्रवेश करता जाता है !
     ध्यान की अनेकों विधियां है कोई भी विधि आपके ध्यान के लिए सिद्ध हो सकती है ! ध्यान असीमित है आप भी ध्यान के विषय में बहुत कुछ खोज कर सकते हैं ! ये खोज आप अपने अनुभव से कर सकते हैं आपकी सांसों में जो कुछ भी घटित होगा वह एक दिन खोज का कारण बनेगी ! आपके चक्रों में जो संशेसन वाईव्रेशन होगा वह भी एक दिन नई खोज का कारण बनेगा ! अतः आप किसी को पकड़कर न रखें कि किस गुरु ने कैसे क्या कहा , इस गुरु ने ऐसा कहा तो उस गुरु ने वैसा कहा !! सभी गुरु अपने अपने अनुभव व्यक्त करते हैं और सबके अपने अपने अनुभव अलग अलग होते हैं ! साधकों के भी अनुभव अलग अलग होते हैं ! कई सारी पुस्तकें पढ़ डालो कुछ नही होगा जब तक की खुद ध्यान साधना में नही उतरोगे

         ध्यान की ऊर्जा बहत्तर हजार नाड़ियों में इड़ा पिंगला सुसुम्ना में दौड़ती है जब आपको यह ज्ञात ही है तो क्यों न आप अपने इस शरीर की सभी नाड़ियों सभी चक्रों पर कार्य करें ?? कुछ लोग कहते हैं प्राणायाम और ॐ महामंत्र केवल शरीर को थकाने के लिए हैं !! जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही है ! नाडी सोधन प्राणायाम और अनुलोम विलोम दोनो एक ही हैं ! यह सब आपकी नाड़ियों को शुद्ध करने के लिए हैं और ॐ महामंत्र आपकी नाड़ियों में वाईव्रेशन उत्तपन्न करने के लिए है !
क्योंकि सृष्टि में जो कुछ भी व्याप्त है सबमें वाईव्रेशन है , सबमें अनहद नाद है ! अनहद नाद कोई शब्द नहीं , कोई अक्षर नही वो केवल वाईव्रेशन है ! ॐ महामंत्र भी एक वाईव्रेशन की भांति गूंजता है ! अतः आप भी वैज्ञानिक् ढंग से खोज कर सकते हैं आपने सर्व गुण निहित हैं उसे जागृत करें ! ध्यान का कोई विज्ञान नही है ! किसी को खुली आखों तो किसी को बंद आंखो से ,तो किसी को चलते फिरते हुए , तो किसी को करवट लेकर सोते हुए भी ध्यान घटित होता है ! किसी किसी को तो 24 घंटे भी ध्यान घटित हो सकता है !
          इसलिए मेरा मानना है किसी की बात को पत्थर की लकीर न समझें ! आप अपने अनुभव से , अपनी खोज से ,अपने ध्यान से खुद को तराशें चमकाएं ,अपने अनुभव से अपनी ध्यान की स्थिरता को प्राप्त करें !



Many seekers have their own views! A seeker reads a book written by someone and starts arguing with it. While meditation is completely a matter of experience, there is no science to it, meditation is unlimited! It is not necessary that meditation will happen to you in the same way as it happened to me. Everyone’s body’s ability to meditate is different! It is not necessary that only when you are conscious about your thoughts, a state like meditation will arise in you. It is not at all the case that! Those seekers who meditate do not need to be conscious about their thoughts. They simply sit with their eyes closed and make their body relaxed and stable, then their breathing starts doing the work. Their breathing automatically starts moving at a slow and moderate pace, they are completely conscious of their breathing, it has nothing to do with their thoughts. The entire consciousness is on their breaths and through those breaths on any one of their seven chakras. The sensation begins! Just as a seeker starts getting sensation in his Vishuddha Chakra, he gets immersed in the sensation of this Chakra and remains in it and the sensation which is near the same Vishuddha Chakra starts moving upwards. Sometimes that sensation comes in Ajna Chakra, the seeker remains immersed in it and sometimes he remains immersed in Sahastrakar. Whereas these sensations happen automatically! This sensation can happen on any of the seven chakras, it depends on the sadhana of the seeker. The seeker, immersed in the sensation of the chakras, gradually enters emptiness. There are many methods of meditation, any method can be beneficial for your meditation. Meditation is unlimited, you can also discover a lot about meditation! You can make this discovery through your own experience. Whatever happens in your breath will one day become the reason for discovery. The sensation vibration in your chakras will also one day become the cause of new discovery. Therefore, do not hold on to anyone as to which Guru said what, this Guru said this and that Guru said that. All gurus express their own experiences and everyone’s experiences are different. Seekers also have different experiences! Read many books, nothing will happen unless you engage in meditation yourself.

The energy of meditation runs through seventy-two thousand nadis in Ida Pingala Susumna. When you know this, then why not work on all the nadis and all the chakras of your body?? Some people say that Pranayama and Om Mahamantra are only for tiring the body!! Whereas this is not the case at all! Nadi Sodhan Pranayam and Anulom Vilom both are same. All this is to purify your nerves and Om Mahamantra is to generate vibrations in your nerves. Because whatever is prevalent in the universe, there is vibration in everything, there is infinite sound in everything! Anhad Naad is not a word, not a letter, it is just a vibration! Om Mahamantra also resonates like a vibration! Therefore, you too can discover scientifically that all the qualities are inherent in you and awaken them. There is no science to meditation! Meditation happens to some people with open eyes, some with closed eyes, some while walking, and some even while sleeping on their side. For some people, meditation can happen even for 24 hours! That’s why I believe that don’t take anyone’s words as a set in stone! You polish yourself with your experience, your research, your meditation, achieve stability in your meditation through your experience!

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