हे सखी, वर्षा_ऋतु आ गई, परंतु हरि अभी तक नहीं आए, उनसे मिलना नहीं हो सका। आकाश में बादल गरजने लगे हैं और उन बादलों के क्रोध में बिजली दिखाई देने लगी है।
इस वर्षा ऋतु ने वन में मोरों को बुलवा लिया है और सोये मेढकों को भी जगा दिया है। वर्षागम देखकर मोर और मेढक बोलने लगे हैं। पपीहे की ‘पी कहाँ’ की पुकार सुनकर जी विकल हुआ जा रहा है।
इस वर्षा ने अपने इंद्रधनुष पर बूँदों के वाण लेकर क्रुद्ध होकर हम पर चला दिया है। बूँदों के ये विषम (कठिन) वाण हमसे सहे नहीं जा पा रहे हैं।
तू चिट्ठी लिखकर शीघ्र ही किसी पथिक के हाथ श्याम के पास पहुँचा दे। उस पत्र से श्याम हमारी व्यथा जान जायेंगे और यहाँ आ भी जायँगे।
बरसाने से उठी बदरिया,
घिर कर गोकुल पर आई,
मथुरा भीगी, मधुवन भीगा,
वृन्दावन भीगा घटा गोवर्धन पर छाई.
गैया भीगी.. ग्वाले भीगे नन्द यशोमति माई,
चीर भिगोये ब्रज वनितन के..
कुंज-कुंज लहराई.
कारी-कारी कांवर ओढे
भीगे कुवर कन्हाई🌧️
Hey friend, the rainy season has come, but Hari has not come yet, could not meet him. Clouds have started thundering in the sky and lightning has started appearing in the anger of those clouds.
This rainy season has called the peacocks in the forest and has also awakened the sleeping frogs. Seeing the raindrops, the peacock and the frog have started speaking. My heart is getting upset after hearing Papihe’s cry of ‘pee kahan’.
This rain has turned its rainbow with arrows of raindrops on us in anger. We are not able to tolerate these odd (difficult) arrows of drops.
You write a letter and send it to Shyam soon through the hands of a traveler. From that letter, Shyam will come to know about our distress and will also come here.
Badriya got up due to rain, Came around Gokul, Mathura got wet, Madhuvan got wet, Vrindavan got wet and there was a shadow on Govardhan.
Gaiya Bheegi.. Gwale Bheege Nand Yashomati Mai, Rag soaked Braj Vanitan’s.. Bow-bow waved. Kari-Kari Kanwar Ode wet kuvar kanhai🌧️