सखी! दोउ, झूलत मृदु मुसकात।
ज्योँ सखि! गगन मगन मन घनगन, घनन – घनन घननात।
त्योँ सखि! इत घनश्याम मगन मन, झूलत गावत जात।
ज्योँ सखि! घन सँग चपल चंचला, चम-चम-चम चमकात।
त्योँ सखि! श्यामा संग श्याम इत, रहि – रहि हिय हुलसात।
पै चपला सचला इत अचला, लली, लाल सँग भात।
लखत ‘कृपालु’ झुलन झाँकी बस, मुख कछु कहि न सकात।।
भावार्थ:- अरी सखी! श्यामा-श्याम मधुर-मधुर मुस्कराते हुए झूल रहे हैं। जिस प्रकार आकाश में घने बादल आनन्द विभोर होकर घनन, ऐसी धुनि में गरजते हैं उसी प्रकार श्यामसुन्दर भी आनन्द विभोर होकर झूलते हुए गाते जाते हैं। जिस प्रकार बादल के साथ चंचल बिजली चम चम चम चम चमकती है उसी प्रकार श्यामसुन्दर के साथ किशोरी जी भी रह-रहकर आनन्दमय होती हैं। किन्तु उधर बिजली चंचल है इधर श्यामसुन्दर रूपी घन के साथ किशोरी जी निश्चल हैं। कहते हैं कि झूलने की झाँकी तो बस देखते ही बनती है, मुख से उसका वर्णन नहीं हो सकता ।
Sakhi! Dou, swinging soft smile. Jyon Sakhi! The sky is happy, the mind is dense, dense – dense dense. Tyon Sakhi! It is the darkness of the happy mind, swinging and singing. Jyon Sakhi! Agile and playful with the cube, shining brightly. Tyon Sakhi! Shyama sang Shyama it, rahi – rahi hiy hulsat. Pai chapla sachla it achala, lali, lal sang bhat. Lakhat ‘kripalu’ jhulan jhanki bas, mukh kuchh kahi na sakat।।
Meaning :- Hey friend! Shyama-Shyam are swinging with a sweet smile. Just as the thick clouds in the sky thunder in such a tune, being filled with joy, in the same way Shyamsundar also sings while swinging in joy. Just like the fickle lightning cham cham cham cham with the cloud, in the same way Kishori ji is also happy while living with Shyamsundar. But on the other side the lightning is fickle, here Kishori ji with the cube in the form of Shyamsundar is calm. It is said that the tableau of swinging is created just by looking at it, it cannot be described by the mouth.