अहिंसा परमों धर्मः धर्म हिंसा तथैव च

अहिंसा परमों धर्मः धर्म हिंसा तथैव च
एक सच जो हिन्दू समाज से सोची समझी शाजिश से नहीं बताया जा रहा हे , भारतीय ग्रंथों को बहुत लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए गलत गलत तरीके से प्रयोग किया है ऐसा प्रतीत होता हे की यह सब मात्र एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए किया गया ।

दोस्तों हमारे नेताओं ने भारतीय ग्रंथों में लिखे हुए श्लोक को पूर्ण रुप से लोगों तक नहीं पहुंचाया है । आज मैं आपको एक बहुत ही चौंकाने वाला श्लोक बताने जा रहा हूं जिसे अधिकतर हर भारतीय में सुना है । और इस श्लोक को बहुत ही फिल्मों में सुना भी गया हे परन्तु अधूरा ।

दुर्भाग्यवश इस श्लोक को कुछ राजनीतिक स्वार्थों के लिए पूरा न बताकर भारत वासियों के साथ छल किया गया। उन्हें पूर्ण श्लोक कभी बताया ही नहीं गया ।

दुर्भाग्यवश भारत एक ऐसा देश है जहां के अधिकतर लोग अपने ग्रंथों में लिखी श्लोकों से वंचित हैं । दोस्तों जरा सोचो की महाभारत के इस श्लोक अधूरा क्यों पढाया जाता है ?? वह कौन लोग थे जिन्होंने इस श्लोक को अधूरा पढाया ।

“अहिंसा परमो धर्मः” (यह गलत हे, पूर्ण नहीं हे )जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है।

“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: l”

(अर्थात् यदि अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है (उस हिंसा को हिंसा नहीं बल्कि अपराधी को दंड देना कहते हैं)

क्या हमारे कोइ भी भगवान् बिना शस्त्र के हैं? नहीं ना… हम सभी ने देखा है कि हमारे भगवान् हमेशा शस्त्र और आशीर्वाद की मुद्रा में ही होते हैं आप ने कभी सोचा ऐसा क्यों, क्यूंकि वो निर्दोष को क्षमा करते हैं और पापी को दंड देते हैं, ध्यान रहे ये श्लोक तब लिखे गए थे जब अब्रहमिक धर्म (ईसाई और इस्लाम) इस विश्व में आये ही नहीं थे, लेकिन सनातन धर्म इस जगत में कब से किसी को अंदाज़ा नहीं है और धर्म के लिए हिंसा का अभिप्राय सनातन धर्म के रक्षार्थ लिखा गया जिसमे एक तुलसी की भी पूजा की जाती है और दुष्कर्मो के लिए अनिवार्य मृत्यु का विधान है जिससे की समाज की भयमुक्त किया जा सके.

भारत में हमारी हिन्दुओ को आधा ही श्लोक बताने की शौकीन हैं..कारन हिन्दुओ का शोषण जरी रखा जा सके.



Non-violence is the ultimate religion: religion is violence. A truth which is not being told by the Hindu society with a deliberate conspiracy, many people have used Indian scriptures wrongly for their political interests. It seems that all this is just to please a particular community. to be done .

Friends, our leaders have not fully conveyed the verses written in the Indian scriptures to the people. Today I am going to tell you a very shocking verse which has been heard by almost every Indian. And this verse has also been heard in many films but incompletely.

Unfortunately, the people of India were cheated by not telling this verse as complete for some political interests. The full verse was never told to him.

Unfortunately India is such a country where most of the people are deprived of the verses written in their scriptures. Friends just think why this verse of Mahabharata is taught incomplete?? Who were those people who taught this verse incompletely?

“Ahimsa Paramo Dharmah” (It is wrong, not complete) whereas the complete verse is like this.

“Non-violence is the supreme religion and religion is violence as well: l”

(i.e. if non-violence is the ultimate religion of man and doing violence for the protection of religion is better than that (that violence is not called violence but punishing the culprit)

Are any of our gods without weapons? No no… We all have seen that our God is always in the posture of arms and blessings, have you ever thought why so, because he forgives the innocent and punishes the sinner, keep in mind these verses were written then When Abrahamic religions (Christianity and Islam) did not come in this world, but no one knows since when Sanatan Dharma was in this world and the meaning of violence for religion was written for the protection of Sanatan Dharma, in which even a Tulsi is worshipped. And for misdeeds, there is a law of death, so that the society can be freed from fear.

In India, our Hindus are fond of telling only half the verses..so that the exploitation of Hindus can continue.

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