सत मत छोड़े सूरमा, सत छोड़याँ पत जाय।
सत की बाँदी लक्ष्मी, फिर मिलेगी आय।।
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदै साँच है, ताकै हृदय आप॥
सच्चाई के बराबर कोई तपस्या नहीं है, झूठ (मिथ्या आचरण) के बराबर कोई पाप कर्म नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते हैं।
सच तो बिट्टू नच।
सत्यमेव जयते।
सत्य अर्थात् सच व अविनाशी।
ईश्वर सत्य है।
GOD IS TRUTH.
सत्य की नाव हिलती ढुलती जरूर है, पर डूबती नहीं है।
सच्चाई छुप नहीं सकती, बनावट के उसूलों से।
कि खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागज़ के फूलों से।।
सत्यम शिवम सुन्दरम्।
सच्चे दिल पर साहिब राजी।
सत्य पर चलना माना तलवार की धार पर चलने जैसा है।
अन्त में सत्य की विजय होती है।
क्योंकि सत्य का साथी स्वयं परमात्मा पिता है।
सत्य का रास्ता कांटों से भरा हुआ है।
सत्य की राह पर भीड़ नहीं होती है।
दया धर्म का मूल हैं, पाप मूल अभिमान।
झूठ के आगे पीछे दरिया चलते हैं
सच बोला तो प्यासा मारा जाएगा।
तेरे हर झूठ को सच मान लेते हैं हमेशा हम,
हमें भी रस्म-ए-उल्फ़त को निभाना ख़ूब आता है।
ईश्वर के घर देर जरूर है। परन्तु अन्धेर नहीं है।
जहाँ सच्चाई है। वहाँ सुख,शान्ति, आनंद व प्रेम है।
और जहाँ झूठ है। वहाँ दु:ख,अशांति, कष्ट,नफरत व घृणा है।
जहाँ सत्य व धर्म है। वहाँ ही ईश्वर व भगवान है।
जब तक सच जूते पहन रहा होता है
तब तक
एक झूठ आधी दुनिया का सफ़र तय कर सकता है ।
सच को तमीज नहीं बात करने की,
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है ।
झूठ इसलिए बिक जाता है कि,
क्योंकि सच को खरीदने की सबकी औकात नहीं होती है ।
सत्य की भूख सभी को लगती है,
लेकिन जब सत्य परोसा जाता है।
तो बहुत कम लोगों को,
इसका स्वाद अच्छा लगता है ।
झूठे इंसान की ऊंची आवाज सच्चे इंसान को ख़ामोश तो करा सकती है,
लेकिन सच्चे इंसान की खामोशी झूठे इंसान की बुनियाद हिला देती है ।
झूठ का कद कितना भी ऊँचा क्यो न हो,
सत्य के मुक़ाबले में छोटा ही होता है ।
सत्य की राह पर चलने का सबसे बड़ा मजा
ये होता है कि आपको भीड़ नही मिलती।
इसलिए आनंद लीजिये शांतिपूर्ण मार्ग का
क्योंकि इस राह पर कोई ट्राफिक नही।
दुनिया के हर इंसान को;
नफरत है झूठ से,
मैं परेशान हूँ ये सोच कर;
फिर ये झूठ बोलता कौन है?
झूठ बोलना पहली बार
आसान हो सकता है, पर बाद में परेशानी देता है।
सच बोलना पहली बार कठिन होता है;
पर बाद में सुकून और आराम देता है ।
स्वयं का बचाव करने के लिए
कभी भी दूसरों पर दोषारोपण मत करो
क्योंकि समय के पास
सत्य को प्रकट करने का अपना तरीका है ।
झूठ का भी अजीब जायका है;
स्वयं बोलो तो मीठा लगता है।
और कोई दूसरा बोले तो कड़वा लगता है ।
झूठ की रफ़्तार भले ही तेज हो
पर सत्य आगे निकल जाता है ।
सच दो टूक में पर
झूठ घुमा फिर कर अपनी बात करता है ।
सच उथले में नहीं बल्कि
काई से ढके गहरे तालाब में रहता है ।
सच की डोर भले लम्बी हो पर
उसे कोई तोड़ नहीं सकता है ।
झूठ की उम्र छोटी पर जबान लम्बी होती है ।
एक झूठ छिपाने के लिए दस झूठ का सहारा लेना पड़ता है ।
सच और गुलाब सदैव काँटों से घिरे रहते हैं ।
झूठ से भरा जहाज मंझधार में डूबता है ।