|| श्री हरि: ||
भगवान् की विशेष कृपा से मनुष्य शरीर मिलता है | मनुष्य-शरीर, मुमुक्षा और सत्संग – ये तीनों दुर्लभ हैं | सत्संग मिल जाय, भगवान् की याद आ जाय तो इसे भगवान् की विशेष कृपा समझनी चाहिये |
एक-दूसरे को भगवान् की याद कराते रहें, भगवान् की चर्चा करते रहें | दीपक तले अँधेरा रहता है, पर दो दीपक आमने-सामने रख दें तो अँधेरा नहीं रहता |
जो बीत गया है, उसे होनहार ही समझना चाहिये और जो नहीं आया है, उस पर विचार करना चाहिये (योगदर्शन २/१६) |
, Sri Hari: || One gets a human body by the special grace of God. Human-body, mumuksha and satsang – these three are rare. If you get satsang, if you remember God, then it should be considered as a special grace of God. Keep reminding each other of God, keep discussing God. There is darkness under the lamp, but if two lamps are kept face to face, then there is no darkness. What has passed should be considered as promising and what has not come should be considered (Yogdarshan 2/16).