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स्वाति नक्षत्र था। वारिद जलबिंदु तेजी से चला आ रहा था।
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वृक्ष की हरित नवल कोंपल ने रोककर पूछा.. ‘‘प्रिय ! किधर चले ?’’
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‘‘भद्रे ! जलनिधि पर सूर्य की कोपदृष्टि हुई, वह उसे सुखाए ड़ाल रहा है। जलनिधि की सहायता करने जा रहा हूँ।’’
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‘‘छोड़ो भी व्यर्थ की चिंता। खुद को मिटाकर भी कोई किसी की सहायता करता है !
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चार दिन की जिंदगी है, कर लो आनंदभोग। कहाँ मिलेगी कोमल शय्या !’’
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जलबिंदु ने एक न सुनी। तेजी से लुढ़क पड़ा सागर की ओर।
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नीचे तैर रही थी सीप।
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उसने जलबिंदु को आँचल में समेट लिया, वह जलबिंदु न रहकर हो गया मोती।
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सागर की लहरों से एक धीमी-सी ध्वनि निकली- ‘‘निज अस्तित्व की चिंता छोड़कर समाज के कल्याण के लिए जो अग्रसर होते हैं, वे बन जाते हैं जनमानस के मोती।’’
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भोजन भोजन चिल्लाने से क्या भूख मिट जाएगी ?
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पानी-पानी चिल्लाने से क्या प्यास मिट जाएगी ?
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प्रभु-प्रभु रटने से क्या हमें ईस्वर की प्राप्ति हो जाएगी।
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धर्म की चर्चा करने से नहीं धर्म का आचरण करने से दैवीय अनुभूतियाँ होंगी।
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आज जिन्हें भी देखो धर्म की बातें कर रहे हैं, धर्म पालन नहीं कर रहे।
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लोग शब्दों की स्तुतियों से परमात्मा को रिझा रहे हैं।
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तुम आचरण की मौन स्तुति से प्रभु को रिझाओ। आचरण की सुगन्ध जल्दी वहाँ पहुँचती है।
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पश्चिम की समस्या है, उन्हें पता ही नहीं है कि किस मार्ग पर चलना है ?
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शास्त्र तुम्हें मार्ग दिखा रहे हैं उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ो।
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अपना कल्याण करो, जगत का कल्याण करो और परमात्मा की कृपा प्राप्त करो।
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अपने द्वारा संसार को कुछ देकर जरूर जाना, आज हम और कुछ नहीं तो विचारों की खुशबू संसार को दे सकते हैं। विचारों की खुशबु के मन को प्रभु प्रेम में रंगना है।
🙏🌹 जय जय श्री राम 🙏🌹
, Swati was the constellation. Warid Jalbindu was moving fast. , Green Naval Kompal of the tree stopped and asked.. “Dear! Where to go? , Bhadra! The sun’s anger has been seen on the water fund, he is drying it up. Going to help Jalnidhi. , ′′ Leave the worry of vain. Someone helps someone even by erasing himself! , Life is for four days, enjoy it. Where will you find a soft bed! , Jalbindu didn’t listen. Rolled fast towards the sea. , The oyster was swimming below. , He gathered the water point in the lap, he became a pearl instead of being a water point. , A slow sound came out from the waves of the ocean – “Those who move forward for the welfare of the society, leaving the concern of their own existence, become the pearls of the public mind.” , Will the hunger go away by shouting food food? , Will the thirst be quenched by shouting water-water? , By memorizing Prabhu-Prabhu, will we attain God. , Not by talking about religion, but by practicing religion, divine experiences will come. , Today whoever you see is talking about religion, not following religion. , People are pacifying God with praises of words. , Please the Lord with silent praise of your conduct. The fragrance of conduct reaches there quickly. , The problem of the West is that they do not know which path to follow. , The scriptures are showing you the way, accept them and move forward. , Do good to yourself, do good to the world and get the blessings of God. , You must go by giving something to the world, today, if nothing else, we can give the fragrance of thoughts to the world. The fragrance of thoughts has to color the mind in the love of God.
🙏🌹 Jai Jai Shri Ram 🙏🌹