भगवान् के सिवाय कहीं शान्ति नहीं है । आनन्द के समुद्र में डूब जाय । प्रणव का जप करें, प्रणव ही आनन्द है । आकाश बाहर-भीतर सभी जगह है, ऐसे ही आनन्द सब जगह है । यह निश्चय रखें, जप भी करें, इस प्रकार यह अर्थ सहित जप हो गया । विक्षेप-चंचलता से रहित चित्त में जो प्रसन्नता है वह शान्ति है । माथे की गर्मी ठंडी करने के लिये सबसें उत्तम उपाय शान्ति है । भगवान् के सिवाय कहीं शान्ति नहीं है । इसलिये शान्ति भगवान् का स्वरुप है ।
There is no peace except in God. Immerse yourself in the sea of joy. Chant Pranava, Pranava is bliss. The sky is everywhere outside and inside, similarly joy is everywhere. Keep this faith, chant it too, in this way it becomes chanting with meaning. That which is happiness in a mind devoid of distractions is peace. Shanti is the best remedy to cool the heat of the forehead. There is no peace except in God. Therefore, peace is the form of God.