
भीतर एक मंदिर है
संसार के बदलनेकी प्रतीक्षा न करें।अन्यथा प्रतीक्षा ही करते रह जाएंगे।अंधकार में ही जियेंगे औरअंधकार में ही विलीन हो जाएंगे।संसार
संसार के बदलनेकी प्रतीक्षा न करें।अन्यथा प्रतीक्षा ही करते रह जाएंगे।अंधकार में ही जियेंगे औरअंधकार में ही विलीन हो जाएंगे।संसार
अपने प्यारे प्रेमी भक्तोंको प्रफुल्लित करनेके लिये प्रभु प्रफुल्लित होते हैं । प्रेममें भी यही स्थिति होती है,प्रेमी और प्रेमास्पद
आध्यात्मिक विचार सारथिमहा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो वीर।जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।। कठोपनिषद् के अनुसार
नम: शिवाय श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः!!ॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते सर्वविपदविमोक्षणम् क्षमा शस्त्रं करे यस्य दुर्जन: किं करिष्यति ।अतॄणे पतितो
आध्यात्मिक विचार कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! भगवान श्रीकृष्ण पूर्णावतार हैं…. उनकी श्रेष्ठता, कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों
आज हर व्यक्ति अपने आप को अकेला महसूस करता है।व्यक्ति अकेला क्यों महसूस करता है। क्योंकि हमने बैठे रहने की
प्रातः वंदन,,,,🙏🙏नमःशिवायरिश्तों में विश्वास मौजूद हैं तोमौन भी समझ आ जायेगाऔऱ विश्वास नहीं हैं तो शब्दों से भीगलतफहमी हो जायेंगीजो
हे गोविंद…प्रेम हमेशा ही पूर्ण होता है, प्रेम में कहां अधूरापन बचता है..?इसके मिलन और विरह दोनो ही आयाम हैं।मिलन
हमारा स्वभाव सरल और धनात्मक होगा तो हम कहीं भी जाएं,सुख ही पाएंगे और स्वभाव यदि उग्र या जटिल है
हरे कृष्ण हरिनाम की महिमान नामसदृशं ज्ञानं न नामसदृशं व्रतम्।न नामसदृशं ध्यानं न नामसदृशं फलम्।।न नामसदृशस्त्यागो न नामसदृशः शमः।न नामसदृशं