अपनत्व
एक तत्व में द्वेत असंभव चाहे करे कोटि उपाय…. केवल वह बात परम सत्य है, अखंड सत्य है जिसे दो हृदय अनुभव कर रहे…. दो का एक अनुभव ही उन्हें अभिन्न करता है…. जिस प्रकार ब्रह्म का ज्ञान, जीव हृदय में प्रकट होने पर ब्रह्म से एकत्व करा देता है… उसी तरह प्रेम भी प्रियतम से और जिस हृदय में प्रकट होता है और अभिन्न करा देता है।
प्रत्येक तत्व केवल स्वयं में ही प्रतिष्ठित रहता है नित्य…. प्रेम सदा प्रेम में ही रहता है…. संपूर्ण चराचर में जिस हृदय में भी भगवदीय प्रेम अणु प्रकट है, वे समस्त हृदय पूर्व में ही परम अभिन्न हैं…. किसी एक की बात स्वतः सभी की बात है।
हे कृष्ण….. तू ही प्रीत है, तू दुलार है, तू ज्ञान है, तू ही ध्यान है
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
Adoption
Duality is impossible in one element, no matter how many measures are taken…. Only that thing is the ultimate truth, the unbroken truth which two hearts are experiencing…. Only one experience of two makes them integral…. Just as the knowledge of Brahma, when manifested in the heart of the soul, unites with Brahma… in the same way love also unites with the Beloved and the heart in which it appears. Every element is eternally established only in itself. Love always remains in love…. The heart in which there is an atom of divine love manifests in the entire past, all those hearts are eternally inseparable…. What is said by one is automatically said by all.
O Krishna… You are the love, you are the caress, you are the knowledge, you are the meditation Hail to our own Gurudev shri krishna dedication