हरे कृष्णा
हम प्रभू का स्वरूप छोटे बालक की तरह अनुभूत करेंगे तो प्रभू को लाड़ लडाने का प्रकार जल्दी समझ आयेगा l
जैसे एक छोटे बालक को हाथों की पेहचांन होती हैं
जो उसको रोज खिलाते है ,उस के पास वो सहर्ष चला जाता हो l
जो कभी कभी खिलाते है ,उस के पास जाने मे बालक कतरता हैं l ओर अजनबीओं के पास रोता है,दूर भागता हैं l
ऐसी ही प्रभू की सेवा मे अजनबी मत बनो …श्री ठाकुरजी को अपने हाथों की इतनी आदत डाल दे की जब हात बढ़ावो वे दौड के गोदी मे आ जाये ..प्रभू आप के पास आने के बाद ओर कही जाना ना चाहे ..l
Hare Krishna
If we feel the form of GOD like a small child, then we will understand very quickly the way of pampering GOD.
like a small child recognizes hands He happily goes to those who feed him everyday.
The child hesitates to go near the one who feeds him sometimes. And cries near strangers, runs away.
Don’t be a stranger in the service of the Lord like this… Make Shri Thakurji so used to your hands that when you extend your hand, he runs to your lap.. After coming to you Lord, he does not want to go anywhere.