जब किसी दुःखी परेशान व्यक्ति को सहारा दिया जाता है और उसे तीन शब्द बोले जाते हैं कि “मैं हूँ ना” या “भगवान हैं ना'” “अब चिंता करने की कोई बात नहीं”। तब यह तीन शब्द ही व्यक्ति के लिए जादू का काम करते हैं और उसकी बहुत सारी चिंताओं को पल भर में दूर करने के लिए काफी होते हैं । बहुत सारी चिंताओं के बादल यदि भरोसे के इन तीन शब्दों से उड जाएँ तो फिर इन्हें बोलने में हर्ज ही क्या है ?
स्वयं विचार कीजिएगा??
When a sad troubled person is supported and three words are spoken to him that “I am there” or “God is there” “Now there is nothing to worry about”. Then these three words work like magic for a person and are enough to remove many of his worries in a moment. If the clouds of many worries fly away with these three words of trust, then what is the harm in saying them? Will you think for yourself??