श्री यमुनाजी भक्तिका स्वरुप है, और भक्ति के प्रकार भी नव है । श्री यमुनाष्टक भी नव श्लोक में है । स्तुतिके आठ श्लोक और एक श्लोक फलश्रुतिका मिलाके नव श्लोक होते
है ।
हर एक श्लोकमे ऐश्वर्य का वर्णन किया है ऐसे आठ ऐश्वर्य श्री ठाकोरजिने श्री महारानीजीको जीवो के उद्धारनार्थे दिया है।श्री यमुनाजी यह आठ ऐश्वर्य का दान पुष्टी जीवोंको करदेते है । उसी ऋणके स्मरणमे आठ श्लोक से स्मरण स्तुति करते है और एक श्लोक फलश्रुति का वर्णन है ।भक्ति करना यानि सेवा करनी ।
सेवामे प्रवृत
होते ही अनेक प्रकारके विघ्न आते है। जैसे की स्वभावमे प्रमाद,विवाद, विषयासक्ति ऐसे अनेक दोष है । श्री यमनाजीके आश्रयसे यह स्वभावगत दोषो की निवृति होती है और विघ्नों का नाश होता है । श्री महाप्रभुजीने भी
यह विचार करके षोडश ग्रंथमे यमुनाष्टक को प्रथम स्थान दिया ।
श्री यमुनाष्टक का नित्य पाठ करनेसे श्रीकृष्ण सेवामे प्रीति ,पापोकि निवृति, स्वभाव विजय, मुरारि का प्रसन्न होना और सेवाका अधिकारी होता है । मानवको अपने स्वभाव पर काबू पाना कठिन है कितना भी साधन करे फिर भी स्वभावमे परिवर्तन लान
, Devotional form of Shri Yamunaji ll
Shri Yamunaji is the form of devotion, and the types of devotion are also new. Shri Yamunashtak is also in the ninth verse. Eight stanzas of praise and one stanza of Phalshrutika would have been nine stanzas.
Is . The opulences have been described in each and every verse, such eight opulences have been given by Shri Thakurji to Shri Maharaniji for the upliftment of the living beings. Shri Yamunaji bestows these eight opulences to the living beings. In memory of the same loan, eight verses praise the remembrance and one verse describes the results. To do devotion means to serve. engaged in service
As soon as this happens, many types of obstacles come. For example, there are many defects in nature such as carelessness, controversy, subjectivity. With the shelter of Shri Yamnaji, these natural defects are removed and obstacles are destroyed. Shri Mahaprabhuji also
Considering this, Yamunashtak was given the first place in Shodash Granth. By regularly reciting Shri Yamunashtak, one gets love in the service of Shri Krishna, retirement from sin, victory in nature, happiness of Murari and service. It is difficult for a human being to control his nature, no matter how many resources he does, he can still bring a change in his nature.