संतो की कृपा जिस पर हो जाए उसे फिर क्या नहीं मिल सकता,
अकबर जैसे बादशाह पर कृपा हुई तो उसे दिव्य वृंदावन के स्वरुप का दर्शन हुआ
इसी तरह राजाराम बाघेल रीवा नरेश थे, एक बार वृंदावन आये संत को उन्होंने सेवा करते देखा..
उन्होंने देखा कि, संत ठाकुर जी को भोग धरा रहे है. पानी रखने का करुआ, ठाकुर जी के भोजन का पात्र सब मिट्टी के बने है.
ये देखकर वे सोचने लगे कि ठाकुर जी की सेवा में मिट्टी के पात्रो से होती है।
इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद दुबारा उपयोग भी नहीं कर सकते,
वे उन पात्रो की महिमा नहीं जानते थे, कि ये पात्र कोई सामान्य मिट्टीसे नहीं बने है. ब्रजरज् से बने है।
उन्होंने अपने मन की बात संत से कही
संत हँसने लगे, और बोले -ब्रजरज् पर हजारों चिंतामणि न्योछावर है इन्हें सामान्य मिट्टी का पात्र क्यों समझ रहे हो ?
ये पात्र तुम्हारी नजर में सामान्य मिट्टी के पात्र होगे, हमें मिट्टी के पात्र नहीं लगते
जाके पिय ह्रदय में आवन,
मोहन राधा रानी अनुभव
प्रकट होत क्रीडा को,
मोद विनोद कहानी भगवद रसिक
अनेक महल की टहल मिले मनमानी,
परम करुआ ता में यमुना जी को पानी.
अर्थात- जिसके ह्रदय में युगल सरकार विराजमान है, और हर पल उनका नित्य बिहार जिसके ह्रदय में प्रकट है,
ऐसे रसिको को राधाप्यारी के महलन की टहल (सेवा) मिल जाती है, टहल ही नहीं मनमानी टहल, श्री महलन में जैसी भक्त चाहे वैसी टहल उसे मिल जाती है.
और यहाँ का करुआ सामान्य नहीं है, ब्रज रज का करुआ है, और तिस पर भी उसमे यमुना जी का जल है
राजा तो राजा ही था और संत विरक्त रसिक है..
राजा बोला -इस सेवक को सेवा मिलती तो सब पात्र सुवर्ण के बनवा देते हम पर भी कृपा हो जाती,
संत ने दिव्य द्रष्टि दी तो अगले ही पल राजा क्या देखता है, भूमि रत्न जड़ित है, हर पात्र से तेज मणियों का प्रकाश निर्झरित हो रहा है.
राजा की आँखे फटी की फटी रह गई, ऐसा एक भी रत्न और मणि उसके पूरे खजाने में भी नहीं था
राजा बोला बाबा, मुझे क्षमा कर दीजिये, इस दिव्य वृंदावन के दर्शन पाकर मै धन्य हो गया
जय जय श्री राधे
The one who is blessed by the saints, what can’t he get then,
When a king like Akbar was blessed, he saw the form of divine Vrindavan.
Similarly Rajaram Baghel was the king of Rewa, once he saw a saint serving Vrindavan.
He saw that the saint was offering food to Thakur ji. The vessel for keeping water, the vessel for Thakur ji’s food are all made of clay.
Seeing this, they started thinking that Thakur ji’s service is done with earthen vessels.
Can’t even use them again after using them once.
They did not know the glory of those vessels, that these vessels are not made of ordinary clay. Made of Brajraj.
He told his mind to the saint
Saints started laughing, and said – Thousands of chintamani are sacrificed on Brajar, why are you considering them as ordinary clay vessels?
These vessels will be normal earthenware in your eyes, we do not like earthenware.
Go and drink in the heart, Mohan Radha Rani Experience to the manifested sport, mod vinod story bhagvad rasik Visiting many palaces is arbitrary, Water to Yamuna ji in ultimate compassion.
Means- in whose heart the couple government resides, and in whose heart their eternal Bihar is manifested every moment,
Such lovers get the service of Radhapyari’s palace;
And the Karua here is not normal, Braj is the Karua of Raj, and yet it has the water of Yamuna ji.
The king was the king and the saint is a disinterested fan.
The king said, “If this servant had received service, he would have made all the vessels of gold, and he would have been gracious to us.
When the saint gave divine vision, what does the king see the very next moment, the land is studded with gems, the light of bright gems is emanating from every vessel.
The king’s eyes were left torn, there was not even a single such gem and gem in his entire treasury.
The king said Baba, please forgive me, I am blessed to have darshan of this divine Vrindavan Hail Lord Radhe