समर्थ गुरू राम दास जी संगत के समक्ष राम कथा कर रहे थे और हनुमान जी वेष बदल कर रोज कथा का आनंद लेने आ जाते थे। रामदास जी अशोक वाटिका का प्रसंग सुनाते हुए कहते है
हनुमानजी मां सीता जी से मिलने के लिए गए और जब हनुमान जी अशोक वाटिका के पेड़ो को उखाड़ते हुए आगे बढ़े तो रास्ते मे पम्पा सरोवर देखा उसमे सफेद रंग के कमल के फूल खिले देखे और अभी आगे बोलते कि ब्राह्मण वेष मे हनुमान जी ने उन्हे रोकते हुए कहा महात्मा जी आप कथा बहुत अच्छी कर रहे है पर एक त्रुटि है वो कमल के फूल सफेद नही लाल थे।
रामदास जी अच्छा आप कथा सुने विप्रवर
और फिर कथा मे बोले कि हनुमान जी ने सफेद कमल के फूल देखे और
फिर हनुमानजी ने निवेदन किए आप त्रुटि सुधार लीजिए कमल के फूल लाल थे सफेद नही।
रामदास जी आपको कथा सुननी हे तो सुनिए नही तो आप जा सकते हो विप्रवर कथा मे विघ्न ना डाले।
हनुमानजी महात्मा जी मै आपको बता ही दू जिसका वृतांत आप कर रहे है वो हनुमान मै ही हूँ और मैने कमल के फूल लाल ही देखे थे सफेद नही।
रामदास जी मुस्कुराते हुए आप होगे हनुमानजी पर आप कथा सुने विघ्न ना डाले और कथा सुने।
हनुमानजी महात्मा जी हम आपको गलत कथा नही करने देंगे आप त्रुटि सुधार ले।
समर्थ गुरू राम दास जी मै सत्य कथा ही बांच रहा हूँ अगर आपको त्रुटि लग रही है तो हम क्या कहे।
हनुमानजी को अब गुस्सा आने लगा मैने जो देखा था वो आप गलत बोले रहे हो।
रामदास जी तो ठीक है सत्य का निर्णय तो अब राम जी ही करेगे, रामदास जी और हनुमानजी ध्यान मे बैठ कर सूक्ष्म शरीर से राम जी के पास गए
हनुमानजी ने कथा का सारा वृत्तांत कह सुनाया ओर कहने लगे यह महात्मा त्रुटि नही सुधारते अब आप ही इन्हें समझाए।
राम जी मुस्कुराते हुए हनुमानजी से कहने लगे
हनुमान इनसे माफी मांग ले
हनुमानजी हैरान अब राम जी की बात को तो गलत कह नही सकते थे राम जी पर संशय कर नही सकते और रामदास जी से हनुमानजी ने क्षमा माँगी।
राम जी को प्रणाम कर रामदास जी चले गए हनुमानजी भी जाने लगे तो राम जी ने रोका और पास बिठा कर इस रहस्य को समझाने लगे।
हनुमान जब तुम सीता जी को संदेश देकर पम्पा सरोवर की तरफ बढ़े तो सीता की दशा को देख कर तुम्हें बहुत क्रोध आ रहा था उसी क्रोध में तुमने पेड़ो को उखाड़ा और क्रोध से इतना तमतमा गए की सरोवर के पास् जब निकले तो तुम्हे सफेद कमल के फूल लाल दिख रहे थे वास्तव मे वो कमल के फूल सफेद ही थे
रामदास जी जो कथा कर रहे थे वो दिव्य दृष्टि से देख कर सत्य बता रहे है,इसलिए यह भ्रम आपको हो गया था
बाहरी नेत्र से देखा असत्य हो सकता है पर दिव्य दृष्टि से देखा कभी असत्य नही हो सकता वह अखण्ड सत्य है
हनुमान जी की कृपा से समर्थ रामदास जी को भगवान
विचार- आज भी हर मानव के पास वो दिव्य दृष्टि तो है पर वो उसका प्रयोग नही कर पाता l क्योंकि दिव्य दृष्टि केवल पूर्ण गुरू ही खोल सकते है ओर ईश्वर दर्शन करा सकते है !!
Powerful Guru Ram Das ji was narrating Ram Katha in front of the Sangat and Hanuman ji used to come in disguise every day to enjoy the Katha. Ramdas ji while narrating the incident of Ashok Vatika says
Hanuman ji went to meet Mother Sita ji and when Hanuman ji moved ahead uprooting the trees of Ashok Vatika, he saw Pampa Sarovar on the way and saw white lotus flowers blooming in it and he further said that Hanuman ji in the guise of a Brahmin stopped him. It was said, Mahatma ji, you are telling the story very well but there is one mistake, the lotus flowers were red and not white.
Ramdas ji ok you listen to the story Vipravar
And then it is said in the story that Hanuman ji saw white lotus flowers and
Then Hanumanji requested that you correct the mistake, the lotus flowers were red and not white.
Ramdas ji, if you want to listen to the story then listen to it otherwise you can go, do not disturb the Vipravar story.
Hanumanji Mahatma ji, let me tell you that the story you are narrating is that I am Hanuman and I had seen lotus flowers only red and not white.
Ramdas ji you will be smiling but Hanuman ji you listen to the story, don’t create disturbance and listen to the story.
Hanumanji Mahatma ji, we will not let you tell a wrong story, please correct the mistake.
Samarth Guru Ram Das ji, I am only telling the true story, if you feel wrong then what can we say.
Now Hanumanji started getting angry. What I had seen, you are saying wrong.
Ramdas ji is fine, now only Ram ji will decide the truth, Ramdas ji and Hanuman ji sat in meditation and went to Ram ji from their subtle body.
Hanumanji narrated the entire story and said that this Mahatma does not correct his mistakes, now you explain it to him.
Ram ji smilingly said to Hanuman ji
Hanuman should apologize to them
Hanumanji was surprised, now he could not call Ram ji’s words wrong, he could not doubt Ram ji and Hanuman ji apologized to Ramdas ji.
Ramdas ji left after paying obeisance to Ram ji. When Hanuman ji also started leaving, Ram ji stopped him and made him sit beside him and started explaining this mystery.
Hanuman, when you went towards Pampa lake after giving the message to Sita ji, you were very angry after seeing Sita’s condition. In that anger, you uprooted the trees and became so furious with anger that when you came near the lake, you saw a white lotus. The flowers looked red but actually those lotus flowers were white.
The story that Ramdas ji was narrating was being told from a divine perspective and hence you were under the illusion.
Seen with external eyes may be false but seen with divine vision can never be false, it is the unbroken truth.
By the grace of Hanuman ji, Samarth Ramdas ji became God.
Thought – Even today every human has that divine vision but he is not able to use it because only a complete Guru can open the divine vision and can make him see God.