भारतभूमि के चार प्रमुख पर्वों है, दशहरा, दीपावली,होली और रक्षाबंधन में रक्षाबंधन ही सबसे प्राचीन है। यह एक मात्र पर्व है, जिसकी जड़ें वेदकालीन भारतीय समाज तक फैली हुई हैं।
रक्षाबंधन से अभिन्न हुआ श्रावणी पूर्णिमा का पर्व केवल बहन-भाई तक सीमित नहीं है, अपितु अपनी व्यापकता में गुरु-शिष्य, पुरोहित-राजा, पत्नी-पति, भक्त भगवान यहां तक कि प्रकृति से लेकर देव प्रतिमाओं तक व्याप्त है और प्रत्येक रिश्ते को अपने में समेटे है। यह महापर्व अत्यंत प्राचीनकाल से एक साधारण कच्चे धागे में सबको परस्पर प्रेम, अडिग विश्वास तथा अदम्य मंगलभाव में बांधता आया है। यह प्रतीक है कि एक अकिंचन सूत भी यदि प्रेम व सद्भाव से किसी अपने की कलाई में बांध दिया जाए, तो वह सदा-सर्वदा के लिए अकाट्य अभेद्य रक्षा कवच बन जाता है। रक्षा की कामना से सूत्र बांधने की रीत के कारण ही यह ‘रक्षाबंधन’ है…!
पति को बांधी थी पहली राखी-
वैदिक परंपरा से इतर पौराणिक काल का लोक विश्वास तब से रक्षाबंधन की प्रथा प्रचलित हुई। यह पत्नी इंद्राणी थी और पति देवराज इंद्र। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अनेक युद्ध हुए। तब इंद्राणी ने देवगुरु बृहस्पति से इंद्र को विजय दिलाने का निवेदन किया। इस पर बृहस्पति ने एक धागा अभिमंत्रित कर इंद्राणी को दिया और उसने अपने पति इंद्र के हाथ में उसे बांधा। इससे युद्ध में असुरों को पराजित कर देवता विजयी हो गए।
Rakshabandhan is the most ancient of the four major festivals of India, Dussehra, Deepawali, Holi and Rakshabandhan. This is the only festival, whose roots extend to the Vedic Indian society.
The festival of Shravani Purnima, which is inseparable from Rakshabandhan, is not limited only to sister-brother, but in its comprehensiveness, Guru-disciple, priest-king, wife-husband, devotee God, even from nature to deity idols and every relationship I have included it in myself. Since ancient times, this great festival has been binding everyone in a simple raw thread of mutual love, unshakable faith and indomitable auspiciousness. It is a symbol that even an unbreakable thread, if tied around someone’s wrist with love and harmony, becomes an irrefutable, impregnable shield for ever and ever. This is ‘Rakshabandhan’ because of the ritual of tying the thread with the wish of protection…!
The first rakhi was tied to the husband. Apart from the Vedic tradition, the folk belief of mythological times, since then the practice of Rakshabandhan became prevalent. This wife was Indrani and husband Devraj Indra. According to mythology, many battles took place between the deities and the asuras. Then Indrani requested Devguru Brihaspati to give victory to Indra. On this Brihaspati invited a thread and gave it to Indrani and she tied it on the hand of her husband Indra. Due to this, the gods became victorious by defeating the asuras in the war.