माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है। नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है, जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और भगवती दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि तथा सभी मंत्रों-स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है। यह माता भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है।
नवार्ण मंत्र
|| ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||
नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है। जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है।
ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज ” ऐं “ से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, जिस में सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज ” ह्रीं “ से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जिस में चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज ” क्लीं “ से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, जिस में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज ” चा “ से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की
उपासना की जाती है, जिस में बुध ग्रह
को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई
है।
नवार्ण मंत्र के पंचम बीज ” मुं “ से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज ” डा “ से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज ” यै “ से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है, जिस में शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज ” वि “ से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, जिस में राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र के नवम बीज ” चै “ से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है, जिस में केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवार्ण मंत्र साधना विधी:-
विनियोग:
ll ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य
ब्रम्हाविष्णुरुद्राऋषय:गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी,श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर
स्वत्यो देवता: , ऐं बीजम , ह्रीं शक्ति: ,क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर स्वत्यो प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ll
विलोम बीज न्यास:-
ॐ च्चै नम: गूदे ।
ॐ विं नम: मुखे ।
ॐ यै नम: वाम नासा पूटे ।
ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ।
ॐ मुं नम: वाम कर्णे ।
ॐ चां नम: दक्ष कर्णे ।
ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे ।
ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ।
ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
(विलोम न्यास से सर्व दुखोकी नाश होता
है,संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दहीने
हाथ की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये)
ब्रम्हारूप न्यास:-
ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥
ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥
ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां
पातु ॥
ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥
ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥
ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥
ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥
ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
( ब्रम्हारूपन्यास से सभी मनोकामनाये पूर्ण
होती है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ
दोनों हाथो की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये )
ध्यान मंत्र:-
खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर: शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे
महाकालीकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥
माला पूजन:-
जाप आरंभ करनेसे पूर्व ही इस मंत्र से माला का पुजा कीजिये,इस विधि से आपकी माला भी चैतन्य हो जाती है.
“ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:’’
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे
करे । जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा।
अब आप चैतन्य माला से नवार्ण मंत्र का जाप करे-
नवार्ण मंत्र :-
ll ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ll
नवार्ण मंत्र की सिद्धि 9 दिनो मे 1,25,000 मंत्र जाप से होती है,परंतु आप ऐसे नहीं कर सकते है तो रोज 1,3,5,7,11,21….इत्यादि माला मंत्र जाप भी कर सकते है, इस विधि से सारी इच्छाये पूर्ण होती है, दुख कम होते है और धन की वसूली भी सहज ही हो जाती है। हमे शास्त्र के हिसाब से यह सोलह प्रकार के न्यास देखने मिलती है जैसे ऋष्यादी,कर ,हृदयादी ,अक्षर ,दिड्ग,सारस्वत,प्रथम मातृका ,द्वितीय मातृका,तृतीय मातृका ,षडदेवी ,ब्रम्हरूप,बीज मंत्र ,विलोम बीज ,षड,सप्तशती ,शक्ति जाग्रण न्यास और बाकी के 8 न्यास गुप्त न्यास नाम से जाने जाते है,इन सारे न्यासो का अपना एक अलग ही महत्व होता है,उदाहरण के लिये शक्ति जाग्रण न्यास से माँ सुष्म रूप से साधकोके सामने शीघ्र ही आ जाती है और मंत्र जाप की प्रभाव से प्रत्यक्ष होती है और जब माँ चाहे किसिभी रूप मे क्यू न आये हमारी कल्याण तो निच्छित ही कर देती है।
आप नवरात्री एवं अन्य दिनो मे भी इस मंत्र के जाप कर सकते है.मंत्र जाप काली हकीक माला अथवा रुद्राक्ष माला से ही किया करे।
Navarna Mantra is one such important Mahamantra in the worship of Goddess Durga, the mother of the world. Navarna i.e. this Mahamantra of nine letters has the power to control nine planets, through which complete success can be achieved in all fields and complete blessings of Bhagwati Durga can be obtained. This Mahamantra is of paramount importance in Shakti Sadhana. And among all the mantras and hymns, one important one is Mahamantra. This is a completely effective seed mantra for the simultaneous worship of all the three forms of Goddess Mahasaraswati, Goddess Mahalakshmi and Goddess Mahakali and is also a combined mantra of nine forms of Goddess Durga and with this Mahamantra, nine planets can also be pacified. Is.
Navarna Mantra
, Ain Hreem Kleem Chamundayai Vicche ||
This amazing Navarna Mantra of nine letters contains the nine powers of Goddess Durga. Which is also related to nine planets.
Ain = is the seed mantra of Saraswati.
Hreem = is the seed mantra of Mahalakshmi.
Clean = is the seed mantra of Mahakali.
Along with this, Mata Shailputri, the first power of Goddess Durga, is worshiped with the first seed of Navarna Mantra “Ai”, which has the power to control the planet Sun.
Mata Brahmacharini, the second power of Goddess Durga, is worshiped with the second seed of Navarna Mantra “Hreem”, which has the power to control the planet Moon.
Mother Chandraghanta, the third power of Goddess Durga, is worshiped with the third seed of Navarna Mantra “Kleen”, which has the power to control the planet Mars.
From the fourth seed of Navarna Mantra “Cha” the fourth power of Goddess Durga is derived from Goddess Kushmanda.
Worship is done in which planet Mercury
possessing the power to control
Is.
Mother Skandmata, the fifth power of Goddess Durga, is worshiped with the fifth seed of Navarna Mantra “Mun”, which has the power to control the planet Jupiter.
Goddess Katyayani, the sixth power of Goddess Durga, is worshiped with the sixth seed “Da” of Navarna Mantra, which has the power to control the planet Venus.
Mata Kalratri, the seventh power of Goddess Durga, is worshiped with the seventh seed of Navarna Mantra “Yai”, which has the power to control the planet Saturn.
Goddess Mahagauri, the eighth power of Goddess Durga, is worshiped with the eighth seed of Navarna Mantra “Vi”, which has the power to control the planet Rahu.
Mata Siddhidatri, the ninth power of Goddess Durga, is worshiped with the ninth seed of Navarna Mantra “Chai”, which has the power to control the planet Ketu.
Navarna Mantra Sadhana Vidhi:-
Appropriation:
ll OM This is the Sri Navarna Mantra
The sages are Brahma, Vishnu and Rudra: Gayatri, Ushni, Ganushtubha, Chhandansi, Sri Mahakali, Mahalakshmi and Mahasara
Swatyo Devata: , Aim Bijam , Hrim Shakti: ,Klim Keelakaam Srimahakalimahalakshmimahasara Vinioga for chanting for Swatyo pleasure: ll
Vilom Beej Trust:-
ॐ चै नमः in the anus.
ॐ Vm Namah: to the face.
ॐ यै नमः in the left nostril.
ॐ Dāṁ Namah: in the right nostril.
ॐ mun namah: in the left ear.
ॐ चां नमः to the right ear.
ॐ क्लीं नमः to the left eye.
ॐ hrīm namaḥ to the right eye.
ॐ Aim Hrim Namah on the forehead.
(The inverse trust would have destroyed all suffering
hai, dahine with related mantra pronunciation
Touch the concerned place with the fingers of your hand.)
Brahmarup Trust:-
ॐ Brahmā, the eternal Supreme Personality of Godhead, may protect me from the feet to the navel.
ॐ Janārdana, who is purified from the navel, may always protect me.
O Rudra, female-eyed: hold me in the hole of purity
May he protect you.
ॐ hаm sa: may he protect my two feet.
ॐ Vainateya: May this hand protect me.
ॐ Vrishabha may protect my eyes.
ॐ Gajanana may protect me from all my sins.
ॐ May the goddess of fortune, who is the source of all bliss, protect the two parts of my body.
(All wishes fulfilled by Brahmarupanyas)
It is accompanied by the recitation of the related mantra.
Touch the concerned place with the fingers of both hands.)
Meditation Mantra:-
She carried a sword, discus, club, bow and arrows, a spear in her hands, a conchshell in her head, three eyes, and all her limbs were covered with ornaments.
The blue stone served the second month of the foot
When Lord Hari was asleep, Lord Kṛṣṇa, born of the lotus flower, came to kill Mahākālī, the goddess of fortune.
Rosary worship:-
Before starting the chanting, worship the rosary with this mantra, with this method your rosary also becomes alive.
“Aim Hrim Akshamalikayai Namah:’’
ॐ Maa Male Mahamaya Sarvashakti Swaroopini.
The fourfold path of life is entrusted to You, therefore please grant me perfection.
ॐ Make the garland without hindrance, you are the name of the house on the south
do. For the sake of perfection at the time of chanting this mantra, please be merciful to me for my perfection.
ॐ Akshamaladhipataye Susiddhi Dehi Dehi Sarvamantraarthasadhini Sadhaya Sadhaya Sarvasiddhi Parikalpaya Parikalpaya Me Svaha.
Now chant Navarna Mantra with Chaitanya Mala-
Navarna Mantra :-
ll ain hreem kleem chamundayai vichche ll
Navarna Mantra is accomplished by chanting 1,25,000 mantras in 9 days, but if you cannot do it like this then you can also chant 1,3,5,7,11,21…etc. mantras daily, with this method. All desires are fulfilled, sorrows are reduced and recovery of money also becomes easy. According to the scriptures, we get to see sixteen types of trusts like Rishyadi, Kar, Hridayadi, Akshar, Didga, Saraswat, First Matrika, Second Matrika, Third Matrika, Shaddevi, Brahmarup, Beej Mantra, Vilom Beej, Shad, Saptashati, Shakti. Jagran Nyas and the remaining 8 trusts are known as Gupt Nyas, all these trusts have their own importance, for example, with Shakti Jagran Nyas, Mother Goddess comes in front of the devotees in a subtle form and the effect of chanting the mantra is enhanced. It is visible through us and whenever mother comes in whatever form, she definitely ensures our welfare.
You can chant this mantra during Navratri and other days also. Chant the mantra with Kali Hakik rosary or Rudraksha rosary only.