बच्चे मन के सच्चे

FB IMG

एक बच्चा प्रतिदिन अपने दादा जी को सायंकालीन पूजा करते देखता था। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर से स्वयं इस अनुष्ठान को पूर्ण करने की ईच्छा रखता था, परन्तु दादा जी की उपस्थिति उसे अवसर नहीं देती थी।

एक दिन दादा जी को शाम को आने में विलम्ब हुआ, इस अवसर का लाभ लेते हुए बच्चे ने समय पर पूजा प्रारम्भ कर दी।

जब दादा जी आये, तो वे दीवार के पीछे से बच्चे की पूजा देखने लगे।

बच्चा बहुत सारी अगरबत्ती एवं अन्य सभी सामग्री का अनुष्ठान में यथाविधि प्रयोग करता है और फिर अपनी प्रार्थना में कहता है-
भगवान जी प्रणाम।🙏
आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना क्योंकि दादा-दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा, अच्छी अच्छी कहानियां व ज्ञान की बाते कौन सुनाएगा ।

फिर आगे कहता है-

भगवान जी मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना वरना मेरे साथ कौन खेलेगा।
फिर कहता है-
मेरे पापा और मम्मी को ठीक रखना,
मेरे कुत्ते को भी ठीक रखना नहीं तो हमारे घर को चोरों से कौन बचाएगा
लेकिन भगवान यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहूँ,
आप सबका ध्यान रखना लेकिन अपना भी ध्यान रखना क्योंकि आप के बिना हमारा ध्यान कौन रखेगा?
यह सब सुनकर दादा जी की आंखों में आंसू भर आये क्योंकि ऐसी प्रार्थना उन्होंने न कभी की थी और न सुनी थी।

घर के संस्कार अच्छे हों, वातावरण अच्छा हो तो बच्चों में अच्छाईयाँ ही अंकुरित होगीं।

शायद इसीलिए बच्चे मन के सच्चे कहलाते हैं।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on pinterest
Share on reddit
Share on vk
Share on tumblr
Share on mix
Share on pocket
Share on telegram
Share on whatsapp
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *