दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो

sunset 3156176 6401993985790595116353

दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो।
उस कृपा की  बूंद से फिर बुद्धि ऐसी हो प्रभो।
वृत्तियां दूत गामिनी हो, जा सम्मावे नाथ में।
नद नदी जैसे  समाते, है सभी  जल नाथ में।

दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो
जिस तरफ़ देखूं उधर ही दर्श हो श्री राम का।
आंख भी मुंदु तो दिखे  मुख कमल घनश्याम का।

दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो
आप में मैं आ मिलु ।प्रभु यह मुझे वरदान दो।
मिलती तरंग समुंद्र में जैसे मुझे भी स्थान दो।
छूट जावे दुख सारे अक्षुदर्, सीमा दूर हो।


दैवत  की दुविधा मिटे आनंद में भरपूर हो।
आनंद सीमा रहित हो, आनंद पूर्णा आनंद, 
आनंद सत्यानंद हो, आनंद  चितान्नद हो।


आनंद का आनंद हो, आनंद में आनंद हो, आनंद ही आनंद हो। दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो। जय श्री राम अनीता गर्ग

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on pinterest
Share on reddit
Share on vk
Share on tumblr
Share on mix
Share on pocket
Share on telegram
Share on whatsapp
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *