मानस मंथन
शबरी की प्रतीक्षा
माता शबरी ने प्रभु को प्राप्त किया न उनके पास तप था न ही जोग न जग्य बस प्रतीक्षा थी अपने गुरु के वचनों को समझ कर दिन प्रति दिन प्रतीक्षा करती थी मैया शबरी।
सुबह मैया उठती रास्ता साफ करती हमारे राघव आज जरूर आएंगे उनके कोमल पैरों में कंकड़ न लग जाए तो रास्ते में फूल बिछा देती है, शाम तक रास्ता देखती फिर सोचती मेरा राघव कहीं फंस गया होगा कल जरूर आयेगा।
सैकड़ो साल गुजर गए
मैया ने एक बार भी नहीं सोचा कि मेरा राघव आयेगा नहीं, मैया के मन में एक बार यह नहीं आया कि गुरूजी में मुझे झूठी दिलासा दी थी बस ऐसा ही विश्वास हो जाये प्रभु पर /गुरु के वचनों पर वो परमपिता स्वयं चलकर आयेगा, बस प्रतीक्षा होनी चाहिए माता शबरी की तरह।
शबरी के मुँह से बोल नहीं निकले!
ज्ञान बोलता हैं और प्रेम रोता हैं मैया चरणों में लिपट गई,
राघव क्या मुझे नारी और अधम जानकर नहीं आ रहें थे ?
प्रभु बोले –
कह रघुपति सुनु भामिनि बाता।
मानउँ एक भगति कर नाता॥
जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।
धन बल परिजन गुन चतुराई॥
भगति हीन नर सोहइ कैसा।
बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥
भगति के अलावा में कुछ नहीं मानता जाति पाति तो बिल्कुल नहीं
तो अभी अभी तो कंबध से कहकर आये हो –
पूजिअ बिप्र सील गुन हीना।
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रबीना॥
मैया वो मेरा धर्म था, धर्म में ब्राह्मण बड़ा हैं, ज्ञानी में संत बड़े हैं भक्ति में केवल भक्त हैं उनकी जाति नहीं होती –
वहाँ धर्म था –
कहि निज धर्म ताहि समुझावा।
निज पद प्रीति देखि मन भावा॥
यहाँ भक्ति हैं –
नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं।
मैया ने पहले बातें नहीं पहले खाने को दिया माँ को हमेशा यहीं लगता हैं कि बेटा भूखा होगा भाव बेटा वाला ही रहा मैया शबरी का
बेर दिए खाने को जन श्रुति ऐसा कहती हैं हालांकि मानस कहती हैं –
कंद मूल फल सुरस अति दिए राम कहुँ आनि।
आयुर्वेद कहता हैं कि बेल पथ्य हैं और बेर कुपथ्य हैं यहाँ बेर का आशय भी यहीं हैं कि जो अच्छा हैं वो भले ही न समर्पण करों बुरा जरूर भगवान को अर्पण करों।
यहाँ प्रभु ने बार बार माता शबरी को भामिनी कहा शायद भगवान भी संकेत देना चाहते थे
सोइ पावन सोइ सुभग शरीरा।
जो तनु पाइ भजे रघुवीरा।।
प्रभु प्रतीक्षा से भी मिलते हैं बस आपकी आस्था हो आपको प्रभु के पास नहीं जाना पड़ेगा प्रभु चलकर /दौड़कर आपके पास आएंगे।
🌷 सादर जय सियाराम 🌷
brainstorming waiting for shabari
Mother Shabari attained the Lord. She had no penance, no yoga, no world, just waiting. Mother Shabari, understanding the words of her Guru, waited day after day. Mother wakes up in the morning and clears the way. Our Raghav will definitely come today. If there is no pebble on his soft feet, she spreads flowers on the way. Till the evening, she looks at the way and then thinks that my Raghav must be stuck somewhere. He will definitely come tomorrow. hundreds of years have passed Mother did not even once think that my Raghav would not come, it never once came to Mother’s mind that she had given me false solace in Guruji, just have faith in God/Guru’s words that the Supreme Father himself will come, that’s it. One should wait like Mother Shabari. Shabari was speechless! Knowledge speaks and love cries, mother hugged her feet, Raghav, wasn’t he considering me as a woman and inferior? Prabhu said – Say Raghupati, listen to Bhamini. I agree to do a devotion. Celebrating caste, clan, religion. Wealth, power, family, virtue and cleverness. How can a man without devotion be like that? It’s like rain without water. I don’t believe in anything other than devotion, certainly not caste. So just now you have come saying to Kambandha – Respected Bipra Seal Gun Heena. Sudra na guna guna gyan prabina॥ Mother, that was my religion, Brahmins are great in religion, Saints are great among knowledgeable people, there are only devotees in devotion, they do not have any caste – There was religion – Please give advice based on your own religion. My heart is full of love for my post. Here are devotions – If I say Navadha Bhakti, I get it. Mother did not talk first but gave food first. Mother always thinks that her son will be hungry. Mother Shabari’s feelings remained like that of a son. Jan Shruti says this about eating berries, however Manas says – Kand root fruit suras ati diye Ram kahun aani. Ayurveda says that the vine is healthy and the berries are bad, here the meaning of the plum is that even if the good is not surrendered, the bad must be surrendered to God.
Here the Lord repeatedly called Mother Shabari Bhamini, perhaps God also wanted to give a hint. Sleep holy, sleep well, body. Whatever Tanu finds, send it to Raghuveera. God meets you even by waiting, if you have faith you will not have to go to God, God will come to you walking/running. 🌷 Regards Jai Siyaram 🌷