महात्मा ईसाने जेरिको नगरमें प्रवेश किया। क्षणमात्रमें उनके दर्शन और उपदेश- श्रवणके लिये एक बड़ी भीड़ एकत्र हो गयी। महात्मा ईसा राजपथपर आगे बढ़ने लगे और भीड़ उनके पीछे थी ।
‘मैं महात्माका दर्शन अवश्य करूँगा। मुझे इस दर्शनसे कोई नहीं रोक सकता है। यह सच बात है कि महात्माओंके दर्शनसे कल्याण होता है।’ नगरका शुल्क आदाता जैकियस सोच रहा था। महात्माके दर्शनकी प्यास बढ़ रही थी। भीड़ निकट आ गयी; महात्मा ईसा भीड़से इस तरह घिरे थे कि उनका दर्शन उसके लिये कठिन हो गया। उसका कद (आकार) भी नाटा था।पर अचानक उसने उपाय सोच लिया। राजपथपर ही थोड़ी दूरपर अंजीरका एक वृक्ष था। जैकियस दौड़कर उसपर चढ़ गया। वह बैठने ही जा रहा था कि जनसमूह आ पहुँचा। अचानक भीड़ वृक्षके नीचे ही रुक गयी। शुल्क-आदाता (टैक्स कलक्टर) को बड़ा आश्चर्य हुआ जब महात्मा ईसाने उसका नाम लेकर नीचे आनेको कहा।
‘जैकियस! शीघ्र नीचे उतरो । आज मैं तुम्हारे घरपर निवास करूँगा ।’ महात्मा ईसाने उसके सद्भावपर प्रसन्नता प्रकट की। जैकियसकी दर्शनकी प्यास निवृत्त हो गयी और उसने अपने-आपको धन्य माना।
– रा0 श्री0
Saint Jesus entered the city of Jericho. In no time, a huge crowd gathered to see him and listen to his sermons. Mahatma Isa started moving forward on the highway and the crowd was behind him.
‘I will definitely see the Mahatma. No one can stop me from this philosophy. It is a fact that seeing the great souls brings good.’ Zacchaeus, the tax payer of the city, was thinking. The thirst to see the Mahatma was increasing. The crowd drew near; Mahatma Isa was surrounded by the crowd in such a way that it became difficult for him to see him. His height (size) was also short. But suddenly he thought of a solution. There was a fig tree at a little distance on the highway itself. Zacius ran up to him. He was just about to sit down when the crowd arrived. Suddenly the crowd stopped under the tree. The tax collector was very surprised when Mahatma Jesus asked him to come down after taking his name.
‘Zacius! Get down soon Today I will reside at your house.’ Mahatma Jesus expressed happiness on his goodwill. Zacius’s thirst for vision was quenched and he considered himself blessed.
– Ra0 Mr.0