भगवान्पर निर्भरता

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भगवान्पर निर्भरता

श्रीगंगाजीके पार जानेके लिये नावमें कुछ स्त्री बैठे हुए • थे। जब नाव गंगाजीके बीचमें पहुँची तो पुरुष बहुत जोरसे आँधी आयी। नाव हिलने-डुलने लगी और जल भरने लगा। जब नाव डूबनेको हुई तो नावमें बैठे हुए स्त्री-पुरुष घबरा गये कोई-कोई तो रोने भी लगे। परंतु एक पुरुष बिलकुल निर्भय बैठा हँस रहा था और मन ही मन राम नामका जप कर रहा था। भगवान्‌की कृपासे आँधी बन्द हो गयी और नाव डूबनेसे बच गयी। जब नाव पार पहुँच गयी, तब जो पुरुष निर्भय बैठा हँस रहा था, उसकी पत्नीने पूछा- ‘जब आँधी आयी, नावमें जल भरने लगा और नाव डूबनेको हो गयी, उस समय सब घबरा गये, कोई-कोई तो रोने भी लगे। परंतु आप निर्भय होकर हँस रहे थे। इसका क्या कारण था ?’
इतनी बात सुनकर उसके पतिने अपनी पत्नीका हाथ पकड़कर गंगाजीकी ओर खींचा और कहा-‘तुझे अभी गंगाजी में डुबाऊँगा।’ यह सुनकर पत्नी हँसने लगी और बिलकुल नहीं घबरायी। उसके पतिने पूछा- ‘मैं तुझे गंगाजीमें डुबानेको खींच रहा हूँ, परंतु तू हँस रही है और
घबरायी भी बिलकुल नहीं। इसका क्या कारण है?’ उसकी पत्नीने कहा- ‘आप मेरे पति हैं। मैं आपकी बन चुकी हूँ, आप ही मेरे शरीरके रक्षक तथा पालन-पोषण करनेवाले हैं। मैं आपके ऊपर निर्भर हूँ; तब क्या आप मुझे डुबा सकते हैं ?’ उसके पतिने कहा- ‘जैसे तुम मेरे ऊपर निर्भर हो, वैसे ही मैं अपने भगवान् श्रीरामजीके ऊपर निर्भर होकर निर्भय हूँ, वही मेरे मालिक हैं, मैं उनका बन चुका हूँ, मेरे रक्षक तथा पालन-पोषण करनेवाले वही हैं, एकमात्र वही हैं। वे मुझे इस गंगामें ही डूबनेसे नहीं, भव-सरितामें डूबने से भी बचायेंगे। उन्होंने श्रीनारदजीसे कहा है
सुनु मुनि तोहि कहउँ सहरोसा I
भजहिं जे मोहि तजि सकल भरोसा ॥
करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी ।
जिमि बालक राखइ महतारी ॥
यह सुनकर उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई और उसे बोध हुआ कि भगवान्पर निर्भरता व्यक्तिको सर्वत्र निर्भय बना देती है।

reliance on god
Some women were sitting in the boat to go across Shri Gangaji. When the boat reached the middle of Gangaji, then a very strong storm came. The boat started rocking and started filling with water. When the boat was about to sink, the men and women sitting in the boat got scared and some even started crying. But a man was sitting absolutely fearless laughing and chanting the name of Ram in his heart. By the grace of God the storm stopped and the boat was saved from sinking. When the boat reached the other side, the man who was laughing fearlessly, his wife asked – ‘When the storm came, the boat started filling with water and the boat was about to sink, at that time everyone got scared, some even started crying. But you were laughing fearlessly. What was the reason for this?
Hearing this, her husband took his wife’s hand and pulled her towards Gangaji and said – ‘I will drown you in Gangaji right now.’ Hearing this, the wife started laughing and did not panic at all. Her husband asked- ‘I am pulling you to drown in Gangaji, but you are laughing and
Not panicked at all. What is the reason for this?’ His wife said- ‘You are my husband. I have become yours, you are the protector and nurturer of my body. I depend on you; Then can you drown me?’ Her husband said- ‘As you depend on me, similarly I am fearless by depending on my Lord Shri Ramji, he is my master, I have become his, my protector and nurturer is he, he is the only one. He will not only save me from drowning in this Ganga, but will also save me from drowning in the river of existence. He has said to Srinardji
Sunu Muni, tohi kahi saharosa
Bhajahin je mohi taji gross trust ॥
I will always take care of you.
Jimi child rakhai mahtari ॥
Hearing this his wife was very happy and she realized that dependence on God makes one fearless everywhere.

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