एक बार महात्मा गांधीके पास एक उद्धत युवा पुरुष आया और उसने उनसे लगातार प्रश्नोंकी झड़ी लगा दी। बहुत-से बेसिर-पैरके प्रश्न कर लेनेके बाद उसने उनसे व्यङ्ग्यपूर्वक पूछा—’आपको जब कन्याकुमारीके मन्दिरमें लोगोंने प्रवेश करनेसे रोक दिया था, तब आप अंदर क्यों नहीं गये? आप तो संसारकी दिव्य ज्योति हैं, फिर वे आपको रोकनेवाले कौन होते थे।’ गांधीजीने उसके सारे प्रश्नोंका उत्तर बड़े शान्तिपूर्ण ढंगसे दिया था। उसके इस प्रश्नपर वे थोड़ा मुसकराये और बोले ‘या तो मैं संसारकी ज्योति नहीं था और वे लोग मुझे बाहर रखकर न्याय करना चाहते थे अथवा यदि मैं जगत्की ज्योति था तो मेरा यह कर्तव्य नहीं था कि मैं बलपूर्वक घुसने की चेष्टा करता।’
उस युवकने उनसे पुनः पूछा- “अस्तु! आपको मालूम होना चाहिये मौलाना मुहम्मद अलीने कहा है— ‘गांधीजीकी अपेक्षा तो एक दुराचारी मुसलमान भी श्रेष्ठ है।’ फिर क्या इतनेपर भी आप हिंदू-मुसलिमएकताकी आशा करते हैं?”
‘क्षमा कीजिये!’ गांधीजी बोले- “उन्होंने ऐसा बिलकुल नहीं कहा। अलबत्ता उन्होंने यह कहा था कि ‘ऐसा मुसलमान केवल एक बातमें बड़ा है और वह है अपने धर्ममें। और वह भी केवल कहनेका एक सुन्दर ढंग मात्र था। उसे हम इस तरह क्यों न समझनेकी चेष्टा करें-‘मान लीजिये मेरे पास कोहनूर हीरा है और यदि किसीने इसपर यह कहा कि गांधीजीके पास हीरा है, इस अर्थमें वे अमुक जमींदारसे अच्छे हैं’ तो इसमें क्या बुरा कहा। इसी प्रकार अपने मज़हबको सर्वोत्तम समझनेका सबको वैसा ही अधिकार है, जैसे किसी पुरुषको अपनी स्त्रीको सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी समझनेका अधिकार है। आपने पढ़नेमें भूल की है। मुहम्मद अलीका तर्कपूर्ण दृष्टिकोण सर्वथा निर्दोष है; क्योंकि धार्मिक मामलोंमें मैं सचमुच बड़ा ढीला-ढाला हूँ।” युवक निरुत्तर होकर चला गया।
– जा0 श0
Once an insolent young man came to Mahatma Gandhi and bombarded him with a series of questions. After asking many dumb questions, he asked them sarcastically – ‘When you were stopped by people from entering the temple of Kanyakumari, why didn’t you go inside? You are the divine light of the world, then who were they to stop you.’ Gandhiji answered all his questions in a very peaceful manner. He smiled a little at his question and said ‘Either I was not the light of the world and they wanted to do justice by keeping me outside or if I was the light of the world then it was not my duty to try to enter by force.’
That young man asked him again – “Astu! You should know that Maulana Muhammad Ali has said- ‘Even a vicious Muslim is better than Gandhiji.’ Then do you still hope for Hindu-Muslim unity?”
‘beg to differ!’ Gandhiji said – “He didn’t say that at all. Rather he said that ‘such a Muslim is great in only one thing and that is in his religion’. And that too was only a beautiful way of saying it. Why don’t we try to understand him that way -‘Suppose I have Kohnoor diamond and if someone said on this that Gandhiji has a diamond, in this sense he is better than a certain landlord’, then what is wrong in this. Similarly, everyone has the same right to consider his religion as the best, as any man. You have the right to consider your wife the most beautiful. You have made a mistake in reading. Muhammad Ali’s rational approach is absolutely innocent; because in religious matters I am very lax indeed.” The young man left without answering.