क्रियों यूनानके एथेंस नगरका एक नवयुवक गुलाम था। उसके जीवन कालमें राज्यका कानून था कि कोई गुलाम कलाकी उपासना नहीं कर सकता। ललित कलाओंको सीखनेका उसे अधिकार नहीं था। क्रियों बड़ा गरीब था; वह संगमरमरकी कलापूर्ण मूर्ति बनाकर जीविका चलाता था। कानून बन जानेपर वह विवश हो गया।
वह अपनी बहिनकी सम्मतिसे एक गुफामें रहने लगा। वह चोरी-चोरी संगमरमरकी मूर्ति बनाया करता था। एक समयकी बात है। एथेंसमें कला-प्रदर्शनी हुई। क्रियोंको पेरिक्लीजसे पुरस्कार पानेकी आशा थी। उसने संगमरमर की कई मूर्तियों भेज दो प्रदर्शनी में स्वयंन जाकर अपनी बहिनको भेज दिया। प्रदर्शनीमें दर्शकोंने क्रियोंकी मूर्तियाँ बहुत पसंद कीं । अन्य कलाकार इस बातसे जल उठे।
‘ये किसकी मूर्तियाँ हैं ?’ उनमेंसे एकका प्रश्न था । क्रियोंकी बहिनके अधर निस्पन्द थे ।
सुकरात, फिडियस आदिके साथ पेरिक्लीज भी आ पहुँचे। पर उनके पूछनेपर भी वह दास- कन्या मौन रही। पेरिक्लीजने तत्काल उसे कारागारमें डाल देनेका आदेश दिया, पर क्रियों आ पहुँचा। उसके पैरोंमें धूलि लिपटी थी, लंबे-लंबे बाल पीठपर लटक रहे थे। चिन्ता और भूखसे मन उदास था। ‘महाशय ! मेरी बहिनका कोई अपराध नहीं है।दोष तो मेरा है जो गुलाम होकर भी मैंने कलापूर्ण मूर्तियाँ बनायीं।’ क्रियों पेरिक्लीजके पैरोंपर गिर पड़ा। ‘इसे कारागारमें डाल देना चाहिये।’ अन्य कलाकारोंने
माँग की।
‘नहीं, ऐसा कभी नहीं हो सकता। यह कानून कठोर है। नवयुवकके लिये कारागार उपयुक्त नहीं है,वह तो मेरी बगलमें बैठनेका अधिकारी है। सच्ची कला सबकी वस्तु है । उसे वर्गविशेषकी अपेक्षा नहीं है।’ पेरिक्लीजने क्रियोंको अपनी बगलमें बैठा लिया और एस्पीसियाने क्रियोंके सिरपर मुकुट रख दिया। सच्ची कलाकी उपासनाने उसके हृदयके सौन्दर्यसे एथेंस निवासियोंका मन मुग्ध कर लिया।
– रा0 श्री0
Creon was a young slave from the Greek city of Athens. During his lifetime, it was the law of the state that no slave could worship Kala. He did not have the right to learn fine arts. Creon was very poor; He used to make a living by making artistic idols of marble. He was forced when the law was made.
He started living in a cave with the consent of his sister. He used to secretly make marble idols. Once upon a time. There was an art exhibition in Athens. Creon hoped to get a reward from Pericles. He himself went to the exhibition and sent many marble statues to his sisters. The visitors liked the Kryon idols very much in the exhibition. Other artists were jealous of this.
‘Whose idols are these?’ One of them had a question. Kriyon’s sister’s abdomen was motionless.
Pericles also reached along with Socrates, Fidius etc. But even on their asking, that slave girl remained silent. Pericles immediately ordered to put him in prison, but Creon arrived. His feet were covered with dust, long hair was hanging on his back. My mind was depressed with worry and hunger. ‘Monsieur! It is not my sister’s fault. It is my fault that despite being a slave, I made artistic idols.’ Creon fell at the feet of Pericles. ‘He should be put in jail.’ other artists
demanded.
‘No, that can never happen. This law is harsh. Jail is not suitable for the young man, he is entitled to sit next to me. True art is everyone’s thing. He does not expect class special. Pericles made Creon sit beside him and Aspasia placed the crown on Creon’s head. True worship of art captivated the hearts of the Athenians with the beauty of his heart.