श्रीकृष्ण की आकर्षक छवि

आज का आध्यात्मिक विचार

हे मुरलीधर श्याम सलोने…. कितने आकर्षक लगते हो…. मोर मुकुट पिताम्बर धारी म

मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी कदम्ब तरू के नीचे प्रभु तुम त्रिभंगी मुद्रा में खड़े हो, वंशी बजा कर सब को जगा कर अपने पास बुला लेते हो…. प्यार भरी चंचल चितवन जिसमें अद्भुत सम्मोहन है
अंग-अंग की नूतन शोभा आकर्षित करती है सब को…. मुरली की यह मधुर तान चित को आकर्षित करती है…. भर देती पावन रस से मन धो देती है मन का कालुष्य
आकर्षण तुम में प्रभु… अनुपम मनमोहन कहलाते हो…. आयी पूतना छद्म वेश में तुम को छलने… कंस भी व्याकुल था मिलने को…. भाव-कुभाव का भेद नहीं है, सारा खेल तुम्हारी छवि का जड-चेतन सब मंत्र मुग्ध हो अपलक तुम्हें निहारा करते

कान्हा बिराजो हृदय भवन में तुम बिन और न हो कुछ मन में
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं

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