खाना ही नहीं, पचाना भी चाहिये
हनुमानसिंह दक्षिणेश्वर मन्दिरमें रक्षकके कार्यपर नियुक्त थे। दरबान होनेपर भी हनुमानसिंहकी बड़ी प्रसिद्धि थी; क्योंकि वे केवल एक नामी पहलवान ही नहीं थे, वरन् निष्ठावान् भक्त-साधक भी थे । महावीर – मन्त्रके उपासक हनुमानसिंहको कुश्तीमें हराकर उनका पद लेनेकी इच्छासे एक बार एक दूसरा पहलवान दक्षिणेश्वर आया। उसका लम्बा -चौड़ा शरीर और बल देखकर भी हनुमानसिंह उससे कुश्ती लड़नेके लिये तैयार हो गये। दिन निश्चित हो गया। कौन श्रेष्ठ है, इसका निर्णय करनेके लिये कुछ विशिष्ट व्यक्ति नियुक्त हुए।
दंगलके एक सप्ताह पहलेसे नवागत मल्ल खूब पुष्टिकर पदार्थ खाने और व्यायाम करनेमें लगा रहा, किंतु हनुमानसिंहने वैसा कुछ नहीं किया। प्रतिदिनके समान प्रात:काल स्नान करनेके बाद वे इष्टमन्त्रका जप करते तथा सायंकाल ही एक बार भोजन करते थे। लोगोंने सोचा, हनुमानसिंह डर गये हैं और दंगल में विजयकी आशा छोड़ दी है। श्रीरामकृष्ण परमहंसका हनुमानसिंहजीपर बड़ा प्रेम था। दंगलके पूर्वदिन उन्होंने उनसे पूछा- ‘तुमने कसरत करके और पौष्टिक चीजें खाकर शरीरको तैयार तो किया नहीं, नये पहलवानसे कैसे जीत सकोगे ?’ हनुमानसिंहने भक्तिके साथ प्रणाम करते हुए कहा- ‘आपकी कृपा होगी, तो मैं अवश्य जीतूंगा। बहुत-सा खानेसे ही शरीरमें बल नहीं आता, उसे हजम भी करना चाहिये; वह हजम करनेकी शक्तिसे अधिक खा रहा है। ‘
दूसरे दिन हुए दंगलमें हनुमानसिंहने उस पहलवानको सचमुच ही हरा दिया। [ स्वामी श्रीव्रजनाथानन्दजी ]
Not only should we eat, we should also digest
Hanuman Singh was appointed on the duty of guard in Dakshineswar temple. Hanuman Singh had great fame even though he was a gatekeeper; Because he was not only a renowned wrestler, but also a devoted devotee. Once another wrestler came to Dakshineswar with the desire to take his position after defeating Hanuman Singh, the worshiper of Mahavir-Mantra. Even after seeing his tall body and strength, Hanuman Singh got ready to wrestle with him. The day is fixed. Some special persons were appointed to decide who is the best.
A week before the Dangal, the newly arrived Malla was engaged in eating nutritious food and exercising, but Hanuman Singh did not do any such thing. Like everyday, after taking bath in the morning, he used to chant Ishtamantra and eat only once in the evening. People thought that Hanuman Singh is scared and has given up hope of victory in the Dangal. Sri Ramakrishna Paramhansa had great love for Hanuman Singhji. On the eve of the riot, he asked him- ‘Haven’t you prepared your body by exercising and eating nutritious things, how will you be able to win over a new wrestler?’ Hanuman Singh bowed down with devotion and said – ‘ If you have your grace, I will definitely win. The body does not get strength by eating a lot, it should also be digested; He is eating more than he can digest. ,
Hanuman Singh really defeated that wrestler in the riot that took place the next day. [Swami Shrivrajnathanandji]