इटली के एक धर्मयाजक (पादरी) पर बड़े-बड़े कष्ट आये; परंतु उनके मनमें कभी ताव नहीं आया। लोग उन्हें गालियाँ बकते और वे हँसते रहते तथा उन्हें मीठा उत्तर देते। किसीने पूछा- ‘आपमें इतनी सहनशक्ति कहाँसे आ गयी?’ धर्मयाजकने कहा ‘मैं ऊपरकी तरफ देखकर सोचता हूँ कि मैं तो वहाँ जाना चाहता हूँ, फिर यहाँके किसी व्यवहारसे अपनामन क्यों बिगाडूं? नीचे नजर करता हूँ तो देखता हूँ कि मुझे उठने-बैठने और सोनेके लिये जमीन ही कितनी चाहिये। आस-पास देखता हूँ तो मनमें आता है कितने लोग मुझसे भी अधिक कष्ट भोग रहे हैं। बस, इन्हीं विचारोंके कारण मेरा मस्तिष्क शीतल हो गया है और अब वह किसी भी दुःखसे गरम नहीं होता।’
A religious priest (priest) from Italy suffered a lot; But there was never any thought in his mind. People used to abuse him and he used to laugh and give sweet answers to them. Someone asked- ‘Where did you get so much stamina?’ The religious priest said, ‘I look up and think that I want to go there, then why should I spoil my mind with any behavior here? When I look down, I see how much land I need for getting up, sitting and sleeping. When I look around, it comes to my mind that how many people are suffering more than me. Just because of these thoughts, my brain has become cool and now it does not get heated by any sorrow.’