किसी का प्रेम पाने के लिए हमें उसके नजदीक जाना पड़ता है।हमारा बच्चा भी यदि हम से दूर रहा तो उसका हमारे प्रति प्रेम कम और जो उसकी देखभाल कर रहा है उसके प्रति ज्यादा होगा।यह बात जीवन के प्रत्येक पहलू पर लागू होती है।
आप जिसके ज्यादा नजदीक होंगे,वही आपके लिए उतना ही फलकारी,लाभकारी,प्रेरणा दायक होगा।इसी प्रकार परमात्मा को पाने के लिए हमे परमात्मा से नजदीकी बनानी पड़ेगी।बार बार जब हम परमात्मा को याद करेंगे तो परमात्मा हमारी अवश्य सुनेगा।
कभी आपको बस की सबसे पीछे वाली सीट पर बैठने का मौका लगा है। यदि नही ; तो कभी गौर करना। और हाँ ; तो आपने महसूस किया होगा कि पीछे की सीट पर धक्के ज्यादा महसूस होते है।
.चालक तो सबके लिए एक ही है। बस की गति भी समान है। फिर ऐसा क्यों ?
.जिस बस में आप सफर कर रहे है उसके चालक से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी.. आपकी यात्रा में धक्के भी उतने ही ज्यादा होंगे।आपकी जीवन यात्रा के सफर में भी जीवन की गाड़ी के चालक परमात्मा से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी आपको ज़िन्दगी में धक्के उतने ही ज्यादा खाने पड़ेंगे।
.अपनी रोज़ की दिनचर्या में यथासंभव कुछ समय अपने आराध्य के समीप बैठो और उनसे अपने मन की बात कहें।दुख में हो तभी नही खुशी में भी उनके समीप बैठो और उनका आभार प्रकट करो,उनसे शिकवा भी करो फिर ज्यादा खुश या दुखी होने पर उनके पास आंसू भी बहाओ।
.आप स्वयं एक अप्रत्याशित चमत्कार महसूस करेंगे… कोशिश करके देखिए।जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।