पूर्वजोंकी दुहाई देनेसे क्या लाभ

meditation awakening spiritualism

पूर्वजोंकी दुहाई देनेसे क्या लाभ ?

एक बार एक व्यक्ति नौकरीकी तलाशमें किसी सरकारी दफ्तरमें पहुँचा। पूछनेपर उसने कहा कि मैंने दो-तीन पुस्तकें अंग्रेजीकी पढ़ी हैं और कुछ-कुछ हिन्दी जानता हूँ। दफ्तरके अफसरने कहा हमारे यहाँ एक चपरासीकी जगह खाली है, तनख्वाह 120 रुपये मासिक मिलेगी, चाहो तो नौकरी कर सकते हो।
उस व्यक्तिने मैनेजरसे कहा- ‘हुजूर! मेरे पिता तहसीलदार थे, बाबा कलक्टर थे, परदादा कप्तान थे, मैं इतने ऊँचे खानदानका हूँ, वे लोग बड़ी-बड़ी तनख्वाहें पाते थे और राजदरबारमें आदर होता था, फिर मुझे इतनी छोटी हैसियतकी और कम तनख्वाहकी जगह क्यों मिलनी चाहिये ?’
अफसरने कहा- ‘आपके उच्च खानदानका मैं आदर करता हूँ और आपके उन प्रशंसनीय पूर्वपुरुषोंकी कद्र करता हूँ, पर खेद है कि ऐसे नररत्नोंके घरमें आप-जैसे अयोग्य पुरुष पैदा हुए, जिन्हें चपरासीसे ऊँची जगह नहीं मिल सकती। नौकरी आपको करनी है, इसलिये आपकी योग्यताके अनुरूप ही वेतन मिलेगा। खानदान या पूर्वपुरुषोंका बड़प्पन इसमें कुछ भी काम नहीं आ सकता।
हम लोग अपनेको ऋषियोंकी सन्तान कहते हैं, अपनेको जगद्गुरु होनेका दावा करते हैं और तरह तरहसे प्राचीन गाथाओंके आधारपर अपनेको बड़ा साबित करते हुए यह आशा रखते हैं कि हमें वही स्थान मिले, जो हमारे पूर्वजोंको प्राप्त था। परंतु हम यह भूल जाते हैं कि जितनी योग्यता, कर्मनिष्ठा पूर्वजोंमें थी, क्या उसका थोड़ा अंश भी हममें है? यदि नहीं है, तो हम अपमान और अधोगतिके ही योग्य हैं, जो कि आज प्राप्त है। हमें पूर्वजोंका गौरव उस समयतक प्राप्त नहीं हो सकता, जबतक कि हम वैसा ही पराक्रम करनेका साहस अपने अन्दर उत्पन्न न कर लें।

What is the benefit of crying out to ancestors?
Once a person reached a government office in search of a job. When asked, he said that he has read two or three books in English and knows some Hindi. The office officer said that there is a vacancy of a peon here, the salary will be Rs 120 per month, you can do the job if you want.
That person said to the manager – ‘ Huzoor! My father was a tehsildar, grandfather was a collector, great grandfather was a captain, I belong to such a high family, they used to get huge salaries and were respected in the royal court, then why should I get a place of such a low status and low salary?’
The officer said- ‘I respect your high family and respect those praiseworthy ancestors of yours, but it is a pity that unworthy men like you were born in the house of such gems, who cannot get a higher position than a peon. You have to do the job, so you will get salary according to your qualification. The nobility of the family or the ancestors cannot be of any use in this.
We call ourselves children of sages, claim ourselves to be Jagadguru and by proving ourselves great on the basis of ancient legends, we hope that we get the same place that our forefathers got. But we forget that we have even a small part of the ability and dedication that was there in our forefathers. If not, then we deserve only humiliation and degradation, which we have got today. We cannot get the glory of our ancestors until and unless we develop the courage to do the same feat.

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *