आत्मविश्वास
जिम कॉर्बेट एक महान शिकारी ही नहीं, बल्कि एक जीवट भरे इंसान भी थे। एक बार वे हैजेसे पीड़ित एक व्यक्तिको अपने घर ले आये। वह जीवनको अन्तिम साँसें गिन रहा था। पर कुछ ही दिनोंमें देखा गया कि उनकी चिकित्सासे वह व्यक्ति स्वस्थ हो गया है।
ऐसा चमत्कार देख कुछ लोग जिम कॉर्बेटके घर पहुँचे और उन्होंने इस चमत्कारके बारेमें सवाल किया कि उन्होंने एक मरणासन्न व्यक्तिको कैसे ठीक कर दिया ?
जिम कॉर्बेटने उन्हें कुछ औषधियाँ दिखायीं।
इसपर लोगोंने कहा कि ऐसी औषधियाँ तो उन्होंने अपने परिवार के सदस्योंको भी खिलायी थीं, लेकिन वे उन्हें फिर भी नहीं बचा सके।
उनकी बात सुनकर जिम कॉर्बेट बोले- ‘तुमने उन्हें आत्मविश्वासकी औषधि नहीं दी होगी। मैंने पहले ही दिन इस व्यक्तिसे कह दिया था कि ‘दुनियाकी कोई औषधि उसे ठीक नहीं कर सकती। उसके ठीक होनेका एक ही तरीका है कि वह खुदपर ‘विश्वास करने लगे।’ उसे मैं रोज ऐसा कहता रहा। यह मेरी दवाइयोंसे नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वाससे ‘ठीक हुआ है।’
Self-confidence
Jim Corbett was not only a great hunter, but also a lively person. Once he brought a person suffering from cholera to his house. He was counting the last breaths of life. But within a few days it was seen that the person got cured by his treatment.
Seeing such a miracle, some people reached Jim Corbett’s house and asked about this miracle, how did he cure a dying person?
Jim Corbett showed him some medicines.
On this people said that they had given such medicines to their family members as well, but still they could not save them.
After listening to him, Jim Corbett said- ‘You must not have given him the medicine of self-confidence. I told this person on the very first day that ‘no medicine in the world can cure him’. The only way for him to recover is to ‘believe in’ himself. I kept saying this to him everyday. It was ‘healed’ not by my medicines, but by my self-confidence.