विडालव्रतवालोंसे सावधान रहना चाहिये
एक बार एक बिलाव शक्तिहीन ही जानेके कारण गंगाजीके तटपर हाथ उठाकर खड़ा हो गया और सब प्राणियोंको अपना विश्वास दिलानेके लिये ‘मैं धर्माचरण कर रहा हूँ’ ऐसी घोषणा करने लगा। इस प्रकार बहुत समय बीत जानेपर पक्षियोंको उसपर विश्वास हो गया और वे उसका सम्मान करने लगे। उसने भी समझा कि मेरा कपट सफल हो गया। फिर बहुत दिनों बाद वहाँ चूहे भी आये और उस तपस्वीको देखकर सोचने लगे कि ‘हमारे शत्रु बहुत हैं; इसलिये हमारा मामा बनकर यह बिलाव हममेंसे जो बूढ़े और बालक हैं, उनकी रक्षा किया करे।’ तब उन सबने उस विडालके पास जाकर कहा, ‘आप हमारे रक्षक और परम सुहृद हैं। अतः हम सब आपकी शरणमें आये हैं। आप हमारी रक्षा करें।’
चूहोंकि इस प्रकार कहने पर उन्हें भक्षण करने की नीयत से विडालने कहा- ‘मैं तप भी करूँ और तुम सबकी रक्षा भी करूँ- ये दोनों काम होने का तो मुझे कोई ढंग नहीं दिखायी देता। फिर भी तुम्हारा हित करनेके लिये मुझे तुम्हारी बात भी अवश्य माननी चाहिये। तुम्हें भी नित्यप्रति मेरा एक काम करना होगा। मैं कठोर नियमोंका पालन करते-करते बहुत. थक गया हूँ। मुझे अपनेमें चलने-फिरनेकी तनिक भी शक्ति दिखायी नहीं देती। अतः आजसे मुझे तुम नित्यप्रति नदीके तीरतक पहुँचा दिया करो।’चूहोंने ‘बहुत अच्छा’ कहकर उसकी बात स्वीकार कर ली और सब बूढ़े बालक उसीको सौंप दिये।
‘फिर तो वह पापी बिलाव उन चूहोंको खा खाकर मोटा हो गया। इधर चूहोंकी संख्या दिनोंदिन कम होने लगी। तब उन सबने आपसमें मिलकर कहा, ‘क्यों जी! मामा तो रोज-रोज फूलता जा रहा है और हम बहुत घट गये हैं। इसका क्या कारण है ?’ तबउनमें कोलिक नामका जो सबसे बूढ़ा चूहा था, उसने
कहा- ‘मामाको धर्मकी परवा थोड़े ही है। इसने तो ढोंग रचकर ही हमसे मेल-जोल बढ़ा लिया है। इसके अंग बराबर पुष्ट होते जा रहे हैं और हमलोग घट रहे हैं। सात-आठ दिनसे डिंडिक चूहा भी दिखायी नहीं दे रहा है।’ कोलिककी यह बात सुनकर सब चूहे भाग गये और वह दुष्ट बिलाव भी अपना सा मुँह लेकर चला गया; क्योंकि उसने तो केवल धर्माचरणका ढोंग रच रखा था। इससे हमें शिक्षा मिलती है कि समाजमें हम सतर्क होकर रहें, जिससे धर्म-कर्म, शास्त्रज्ञान आदिका मिथ्या प्रदर्शन करते हुए अपने ही निहित स्वार्थीके साधक पाखण्डियोंके जालमें न फँस सकें। शास्त्रका यह स्पष्ट आदेश है कि विडालके जैसा कपटपूर्ण आचरण करनेवालोंको तनिक भी अवकाश नहीं देना चाहिये, नहीं तो सर्वनाश अवश्यम्भावी है।
Vidalvratwalas should be careful
Once a tomcat, being powerless, stood on the bank of Gangaji with raised hand and started announcing ‘I am doing Dharmacharan’ to make all the creatures believe in him. In this way, after a long time, the birds had faith in him and they started respecting him. He also understood that my deception was successful. Then after a long time rats also came there and seeing that ascetic, they started thinking that ‘we have many enemies; That’s why this cat, being our maternal uncle, should protect the old and children among us.’ Then they all went to that Vidal and said, ‘ You are our protector and our best friend. That’s why we all have come to your shelter. You protect us.
On saying this to the rats, with the intention of devouring them, Vidal said – ‘I can do penance as well as protect you all – I do not see any way of doing both these things. Still, to do your good, I must obey you too. You also have to do one work of mine everyday. I used to follow strict rules a lot. I am tired. I do not see even the slightest power in me to walk. So, from today onwards, you take me to the stream of the river Nityaprati.’ The mice accepted his words by saying ‘very good’ and handed over all the old children to him.
‘ Then that sinful cat got fat after eating those rats. Here the number of rats started decreasing day by day. Then they all said together, ‘Why! Uncle is increasing day by day and we have decreased a lot. What is the reason for this ?’ Then the oldest mouse among them, named Kolik,
Said- ‘Mamako has little concern for religion. He has increased his contact with us only by creating a pretense. Its parts are getting stronger and we are decreasing. Dindik rat is also not visible since seven-eight days. Hearing this thing of Kolik, all the rats ran away and that evil cat also went away with his mouth; Because he had only created a pretense of religious conduct. This teaches us that we should be alert in the society, so that the seekers of their own vested interests do not get trapped in the trap of hypocrites by falsely demonstrating religion-karma, scientific knowledge etc. It is a clear order of the scriptures that those who behave fraudulently like Vidal should not be given even the slightest leave, otherwise the apocalypse is inevitable.