खोटा सिक्का

IMG 20220910 WA0157

ठाकुर जी का बहुत प्यारा भक्त था जिसका नाम अवतार था।
वह छोले बेचने का काम करता था। उसकी पत्नी रोज सुबह-सवेरे उठ छोले बनाने में उसकी मदद करती थी !

एक बार की बात है एक फकीर जिसके पास खोटे सिक्के थे उसको सारे बाजार में कोई वस्तु नहीं देता है तो वह अवतार के पास छोले लेने आता है !

अवतार ने खोटा सिक्का देखकर भी उस फकीर को छोले दे दिए। ऐसे ही चार-पांच दिन उस फकीर ने अवतार को खोटे सिक्के देकर छोले ले लिए और उसके खोटे सिक्के चल गए !

जब सारे बाजार में अब यह बात फैल गयी कि अवतार तो खोटे सिक्के भी चला लेता है..

पर अवतार लोगों की बात सुनकर कभी जवाब नहीं देते थे । अपने ठाकुर की मौज में खुश रहते थे !🙏

एक बार जब अवतार पाठ पढ़ कर उठे तो अपनी पत्नी से बोले – क्या छोले तैयार हो गए ?

पत्नी बोली – आज तो घर में हल्दी -मिर्च नहीं थी और मैं बाजार से लेने गयी तो सब दुकानदारों ने कहा कि–यह तो खोटे सिक्के हैं और उन्होंने सामान नहीं दिया !”

पत्नी के शब्द सुनकर अवतार ठाकुर की याद में बैठ गए और बोले-“जैसी तेरी इच्छा मेरे स्वामी ! तुम्हारी लीला कौन जान सका है !

तभी आकाशवाणी हुई -” क्यों अवतार तू जानता नहीं था कि यह खोटे सिक्के हैं !”

अवतार बोला -“ठाकुर जी मैं जानता था।

ठाकुर जी ने कहा – फिर भी तूने खोटे सिक्के ले लिए ऐसा क्यूँ भले मानुष !

अवतार बोला – हे दीनानाथ ! मैं भी तो खोटा सिक्का हूँ इसलिए मैंने खोटा सिक्का ले लिया… कि जब मैं तुम्हारी शरण मे आऊँ तो तुम मुझे अपनी शरण से नकार ना दें !

क्योंकि आप तो खरे सिक्के ही लेते हो आप स्वयं सब जानते हो ! खोटे सिक्कों को भी आपकी शरण मे जगह मिल सके !

थोड़ी देर में दूसरी *आकाशवाणी हुई – हे भले मानुष ! तेरा भोला पन तेरा प्यार स्वीकार है मुझे । तू ठाकुर का खोटा सिक्का नहीं खरा सिक्का हैं !

और उसके धनी मित्र का आना हुआ उसने अवतार की सारी व्यवस्था कर दी सदा के लिए। वह धनी मित्र कौन बन कर आया था ये आपके विवेक पर निर्भर है!!

जो भी कर्म करो ठाकुर के चरणों मे समर्पित करते रहो फल के बारे मे मत सोचो। आप देखना जिंदगी की गाड़ी कितनी तेज गति से दौड़ेगी पलटकर नहीं देखना पड़ेगा। और वह हमारे आस पास ही होगा किसी ना किसी रूप में या हर रूप में।

पूछते हो ना,बिहारी जी कि ये मोहब्बत किससे है..
लो सुनो फिर
तुम्हारी है, तुम पे है, तुम तक है, तुम से है

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *