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एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारियां चल रही थीं। दोनों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त थे।
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वे अपनी-अपनी विजय का आशीर्वाद मांगने के लिए अलग-अलग समय पर उनके पास पहुंचे।
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पहले शासक को आशीर्वाद देते हुए संत बोले, ‘तुम्हारी विजय निश्चित है।’
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दूसरे शासक को उन्होंने कहा, ‘तुम्हारी विजय संदिग्ध है।’
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दूसरा शासक संत की यह बात सुनकर चला आया, किंतु उसने हार नहीं मानी और अपने सेनापति से कहा…
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‘हमें मेहनत और पुरुषार्थ पर विश्वास करना चाहिए। इसलिए हमें जोर-शोर से तैयारी करनी होगी।
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दिन-रात एक करन युद्ध की बारीकियां सीखनी होंगी। अपनी जान तक को झोंकने के लिए तैयार रहना होगा।’
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इधर पहले शासक की प्रसन्नता का ठिकाना न था। उसने अपनी विजय निश्चित जान अपना सारा ध्यान आमोद-प्रमोद व नृत्य-संगीत में लगा दिया।
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उसके सैनिक भी रंगरलियां मनाने में लग गए। निश्चित दिन युद्ध आरंभ हो गया।
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जिस शासक को विजय का आशीर्वाद था, उसे कोई चिंता ही न थी। उसके सैनिकों ने भी युद्ध का अभ्यास नहीं किया था।
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दूसरी ओर जिस शासक की विजय संदिग्ध बताई गई थी, उसने व उसके सैनिकों ने दिन-रात एक कर युद्ध की अनेक बारीकियां जान ली थीं।
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उन्होंने युद्ध में इन्हीं बारीकियों का प्रयोग किया और कुछ ही देर बाद पहले शासक की सेना को परास्त कर दिया।
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अपनी हार पर पहला शासक बौखला गया और संत के पास जाकर बोला, ‘महाराज, आपकी वाणी में कोई दम नहीं है। आप गलत भविष्यवाणी करते हैं।’
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उसकी बात सुनकर संत मुस्कराते हुए बोले, ‘पुत्र, इतना बौखलाने की आवश्यकता नहीं है।
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तुम्हारी विजय निश्चित थी, किंतु उसके लिए मेहनत और पुरुषार्थ भी तो जरूरी था।
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भाग्य भी हमेशा कर्मरत और पुरुषार्थी मनुष्यों का साथ देता है और उसने दिया भी है, तभी तो वह शासक जीत गया जिसकी पराजय निश्चित थी।’
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संत की बात सुनकर पराजित शासक लज्जित हो गया और संत से क्षमा मांगकर वापस चला आया। जय जय श्री राधे
, Once preparations were going on for war between two states. The ruler of both was the devotee of a famous saint. , They approached him at different times to seek his blessings for their respective victories. , Blessing the first ruler, the saint said, ‘Your victory is certain.’ , To the second ruler he said, ‘Your victory is doubtful.’ , The second ruler came after hearing these words of the saint, but he did not give up and said to his commander… , We should believe in hard work and effort. That’s why we have to prepare vigorously. , One has to learn the nuances of Karan war day and night. Have to be ready to lay down even your life. , Initially over here, there was no assurance of the happiness of the ruler. Knowing his victory sure, he put all his attention in entertainment and dance and music. , His soldiers also started celebrating. On certain day the war started. , The ruler who was blessed with victory had no worries. His soldiers also did not practice war. , On the other hand, the ruler whose victory was said to be doubtful, he and his soldiers worked day and night to learn many nuances of the war. , He used these nuances in the war and after some time defeated the army of the first ruler. , The first ruler was furious at his defeat and went to the saint and said, ‘ Maharaj, there is no power in your speech. You make wrong predictions. , After listening to him, the saint said with a smile, ‘ Son, there is no need to panic so much. , Your victory was certain, but hard work and effort was also necessary for that. , Luck also always favors hardworking and hardworking people and it has given, that’s why the ruler whose defeat was certain won. , The defeated ruler was ashamed after listening to the saint and came back after apologizing to the saint. Jai Jai Shree Radhe