कल हरियाली तीज है। हरियाली तीज को मधुश्रवा भी कहते हैं। मधुश्रवा का तात्पर्य है रस का उल्लास। मधु अर्थात शहद (मिठास) ……उसका उल्लास।
कल श्री प्रिया जी विशेष रूप से झूला झूलेंगी।आज शाम को लाडली लाल सरकार पहली सिंहपोर के नीचे बनी सफेद छतरी में अपने प्यारों को दर्शन देने आएँगी।
इस समय(श्रावण में) मानो स्वामिनी जी श्री बरसाना धाम में विराजमान हैं। श्रावण में श्रीजी बरसाना धाम अर्थात अपने मायके में रहती हैं और यहाँ विशेष रूप से हिंडोरे में झूलती हैं। लाल जी घूमते-घूमते यहाँ चले आते हैं और सखियाँ जहाँ झूल रही होती हैं वहाँ लाल जी भी श्री प्रिया जी के संग झूला झूलते हैं।
श्रावण में श्री प्रियालाल जी हिंडोरा झूलते हैं।श्रीप्रिया जी का अत्यंत उल्लास हिंडोला है।यद्यपि हिंडोरा प्रियालाल जी की नित्य लीला है, लेकिन यह 13 दिन विशेष हैं क्यों कि श्रीठाकुर जी प्रिया जी संग झूलते हैं।
तीज का अर्थ है – उल्लास, जैसे कि मिलन श्रीप्रिया जी का ठाकुर जी से। मिलन का उल्लास – यह पहली तीज है। दूसरी तीज श्रावण की समाप्ति पर जो भादों की तीज आएगी, तब मनाई जाती है।
श्रीप्रिया जी अभी श्री बरसाना धाम (मायके) में हैं। राखी पूर्णिमा के पश्चात श्रीजी नन्द गाँव में पधारती हैं।
श्रीराधारमण जी आज से तीन दिवस पर्यन्त अर्थात तीज से पंचमी तक स्वर्ण के झूले में विराजमान रहेंगे। फिर 13 दिनों तक नित्य नए-नए झूले बनेंगे तो परम उल्लास के साथ प्रिया-प्रियतम हिंडोरा झूलेंगे।
श्री राधारमणाय समर्पणं
Tomorrow is Hariyali Teej. Hariyali Teej is also known as Madhushrava. Madhushrava means the gaiety of juice. Madhu means honey (sweetness)……his joy. Tomorrow, Shri Priya ji will specially swing on the swing. This evening, Ladli Lal Sarkar will come to visit her dear ones under the white canopy built under the first tower. At this time (in Shravan) it is as if Swamini ji is sitting in Shri Barsana Dham. In Shravan, Shreeji stays in Barsana Dham i.e. his maternal home and specially swings here in Hindore. Lal ji comes here while roaming around and wherever the friends are swinging, Lal ji also swings with Shri Priya ji. In Shravan Shri Priyalal ji swings Hindora. Shripriya ji’s carousel is very ecstatic. Although Hindora is Priyalal ji’s daily leela, but these 13 days are special because Shri Thakur ji swings with Priya ji. Teej means – gaiety, like the meeting of Shripriya ji with Thakur ji. The joy of meeting – This is the first Teej. The second Teej, which is the Teej of Bhadon, is celebrated at the end of Shravan. Shripriya ji is now in Shri Barsana Dham (mother’s home). Shreeji Nand comes to the village after Rakhi Purnima. Shri Radharaman ji will be sitting in the golden swing for three days from today i.e. from Teej to Panchami. Then for 13 days, new swings will be made everyday, then the dear-beloved Hindora will swing with great enthusiasm. Shree Radharmanaya Samarpanam