होलाष्टक के आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य न किए जाते हों लेकिन इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के पावन धाम पर यानि ब्रजमंडल में फूल, रंग, अबीर आदि से बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
श्री किशोरी जी की सखियां नन्दगाँव नन्दलाला को होली का निमन्त्रण देने जाती हैं जहां उनकी खूब आवभगत होती है। सखियों द्वारा होली का न्यौता देने के बाद को नंदलाला स्वरुप पांडा बरसाना आता है। जिसके स्वागत में बरसाना आये श्रद्धालु व रसिक उस पांडे को लड्डुओं का भोग लगाते हैं।
वह नाचते हैं लड्डू खाते हैं और श्रद्धालुओं में लुटाते हैं। और फिर कल नन्दलाला अपने सखाओं के साथ पाग पहनकर ढाल लेकर आएंगे और सीधे पहुचेंगे किशोरी जी
के निज महल में वहां बरसाना के गोस्वामी समाज और नन्द गाँव के गोस्वामी समाज के द्वारा होली पद गायन
होगा। अष्टमी के दिन नन्दगाँव से पाण्डे जी होरी का निमंत्रण लेकर आते हैं,तो लड्डू होरी में यह पद गाया जाता है–
नन्दगाँव कौ पाँडे ब्रज बरसाने आयौ ।
भरि होरी के बीच सजन समध्याने धायौ ॥
पाँड़े जू के पायनि कों हँसि शीश नवायौ ।
अति उदार वृषभानु राय सन्मान करायौ ॥ …. बरसाना धाम की जय हो