कृष्ण जन्माष्टमी 2023 – 6 सितम्बर, बुधवार, दोपहर 3.38 बजे से 7 सितम्बर, गुरुवार शाम 4.15 बजे तक।
इस वर्ष की विशेषता-
श्रीमद्भागवत आदि पुराणों के अनुसार, श्री कृष्ण जी का जन्म भाद्र, कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि के चंद्र-कालीन अर्द्धरात्रि के समय हुआ था। ऐसे ही इस वर्ष भी इन सभी दुर्लभ तत्वों का सुयोग बन रहे है। इन योगों में श्री कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
यद्यपि, 6 सितम्बर को अष्टमी की उदया तिथि नहीं है किंतु कृष्ण जन्माष्टमी रात्रि का उत्सव होने की वजह से इसे 6 सितम्बर को ही मनाना शास्त्र-संगत है.
इस जन्मोत्सव के लिए ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नमः’ आदि मंत्र-जप, श्री कृष्ण बालस्वरूप की पूजा, झूला-झुलान, चंद्र अर्ध्यदान आदि करना चाहिए। रात्रि को 12 बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतीक स्वरूप नारियल फोड़कर, शंख, घंटी ध्वनि कर, कपूर आदि प्रज्वलित कर कृष्ण आरती स्तुति करें।भगवान कृष्ण का विधि विधान से मन्त्र उच्चारण करते हुए स्नान कराकर सिगार करके आरती की जाती है। तत्पश्चात माखन- मिश्री और धनिया युक्त पंजीरी, केले आदि फलों का प्रसाद ग्रहण करें।भारत में उत्सव को बहुत ही आनंद पुरवक मनाया जाता है
Krishna Janmashtami 2023 – September 6, Wednesday, 3.38 pm to September 7, Thursday, 4.15 pm.
Specialties of this year- According to Shrimad Bhagwat etc. Puranas, Shri Krishna was born at Bhadra, Krishna Paksha Ashtami Tithi, Wednesday, Rohini Nakshatra and at midnight of the lunar period of Taurus. Similarly, this year also all these rare elements are becoming favorable. In these yogas, by worshiping Shri Krishna ji, the sins of three births are removed.
Although, there is no Udaya Tithi of Ashtami on 6th September, but due to Krishna Janmashtami night being celebrated, it is according to the scriptures to celebrate it on 6th September only.
For this birth anniversary, ‘Om Namah Bhagwate Vasudevay Namah’ etc. mantra-chanting, worship of Shri Krishna child form, Jhula-Jhulan, Chandra Ardhyadan etc. should be done. At 12 o’clock in the night, as a symbol of being born from the womb, break coconut, conch shell, ring bell, light camphor etc. and praise Krishna Aarti. Aarti is performed by chanting mantras of Lord Krishna after taking bath and lighting a cigar. After that, take prasad of fruits like butter-sugar candy and coriander, banana etc. The festival is celebrated very joyfully in India.