भारतीय संसद भवन के उद्घाटन समारोह में सर्व धर्म समारोह को देखकर मन बहुत प्रसन्न हुआ। हमारी संस्कृति में अनेकता में एकता की झलक दिखाई देती है। हम सब अलग अलग धर्मों के होते हुए भी एक है भारतीय संस्कृति में एकत्व को सर्वोपरि माना गया है। हमारे धर्म और पंथ भिन्न भिन्न हो सकते हैं हम सबका मार्ग एक ही है। हमारे सब धर्म आत्मचिंतन के मार्ग पर चलने के लिए बने हैं।
सब धर्म पढ़ने में कथाओं में पुजा प्रार्थना के मार्ग भिन्न भिन्न तरीके से प्रार्थनाएं करते हुए भी एक है। पुजा प्रार्थना कथा व्रत और नियम मौन साधना मंत्र जप नमस्कार योग मार्ग सभी भिन्न भिन्न होते हुए भी एक ही मार्ग की ओर ले जाने वाले है। हम राजनीति चमकाने के लिए एक दुसरे समुदाय को धर्म की आड़ में मतभेद पैदा करते हैं। धर्म मतभेद पैदा करने के लिए नहीं बने हैं।
हर धर्म हमें शान्ति के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता है। हम धार्मिक ग्रंथों के अर्थ से बहुत दुर है। किसी भी धार्मिक ग्रंथ में मतभेद और आपसी बैरभाव को नहीं दिखाया गया है। धार्मिक ग्रंथ का अर्थ है मानव जीवन को आत्मचिंतन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
हर धर्म के ग्रथ का विश्लेषण करने पर हम गंभीरता से समझ सकते हैं धर्म हमें आत्मिक शान्ति की और लेकर जाता है। किसी भी धर्म में मै और मेरापन को बढ़ावा नहीं दिया गया है। हम यह भी नहीं जानते हैं धर्म किस लिए बने धर्म का लक्ष्य अपने कल्याण के साथ समाज का कल्याण करना है। धर्म का कार्य टुकड़ो में समाज को बांटना नहीं है। आज संसद भवन में सर्व धर्म सम्मेलन सबको एक साथ देखकर आत्मा तृप्त हो गई।सभी धर्म के सन्त महात्मा ने अपने अपने तौर तरीके से प्रार्थना की। प्रार्थना सबने की प्रार्थना के बोल और तरीका भिन्न भिन्न है। सभी प्रार्थना करते हुए अपने अपने तरीके से ईश्वर को याद कर रहे हैं।हमारे देश में ऐसा वर्ष में एक दिन अवश्य होना चाहिए। देश में एक दिन सर्वधर्म सम्मेलन से राष्ट्र में कैसे भक्ति की आपसी सद्भावनाए दृढ होती है। हमारे देश में राजनीति चमकाने के लिए धर्म के नाम पर एक दुसरे पंथों में मतभेद पैदा किए जाते रहे हैं वे सब एक धागे पिरोए जाएगे। मेरा दिल बार बार कहता धर्म अपने अन्तर्मन मे बैठा हुआ है। सब धर्म के ग्रथों वेद शास्त्रों में हमें प्रेम शांति श्रद्धा विश्वास और सद्भावना के सदेंशक है।धर्म राष्ट्र में समरीधी और शांति के पथ पर चलने के मार्ग बनाते हैं। आत्मचिंतन के मार्ग पर दृढता पुरवक चलने के प्ररेणा स्त्रोत है। धर्म मानव जीवन के कल्याण के लिए बने हैं। एक सपना दिल में सजा हुआ था। मै दिल में सोचती मेरे भारत में शान्ति और सद्भावना स्थापित हो। शान्ति के पथ चलते हुए कला और कौशल अपने आप समा जाता है। एक ऐसी लहर उठे जिसमें सबका कल्याण हो। धर्म में भिन्नता नही है। धर्म और संस्कृति हमारे जीवन में होगी तब हम समाज में शान्ति की स्थापना करेंगे। अमृत, राष्ट्रपथ, कर्म पथ, कर्तव्य पथ, इन शब्दों में जीवन अपने आप सत्य के पथ पर अग्रसर होता है। एक वर्ष तक कोई व्यक्ति अनजाने में भी इन शब्दों को बोलता और सुनता है व्यक्ति विशेष के जीवन में शुद्धता आ जाती है यहीं भारतीय संस्कृति है। भारतीय संस्कृति में हर शब्द के अपने अर्थ और गुण है।
I was very happy to see the Sarva Dharma Samaroh in the inauguration ceremony of the Indian Parliament House. Unity in diversity is visible in our culture. We all are one even though we belong to different religions Unity is considered paramount in Indian culture. Our religions and sects may be different, we all have the same path. All our religions are made to walk on the path of self-reflection.
In reading all the religions, the way of worship prayer in the stories is the same even while praying in different ways. Worship, prayer, story, fasting and rules, silence, meditation, chanting, chanting, namaskar, yoga, all the paths are going to lead to the same path despite being different. We create differences between each other community under the guise of religion to make politics shine. Religions are not made to create differences.
Every religion inspires us to walk on the path of peace. We are far away from the meaning of religious texts. Differences and mutual enmity have not been shown in any religious scripture. The meaning of religious texts is to inspire human life to walk on the path of self-realization.
Analyzing the scriptures of every religion, we can seriously understand that religion takes us towards spiritual peace. I and mine are not promoted in any religion. We don’t even know why religion was made, the goal of religion is to do welfare of the society along with its own welfare. The work of religion is not to divide the society into pieces. Today, the soul was satisfied after seeing all religions meeting together in the Parliament House. Saints of all religions prayed in their own way. The words and method of prayer are different for everyone. Everyone is praying and remembering God in their own way. There must be one such day in a year in our country. How the mutual goodwill of devotion is strengthened in the nation by one day all religion conference in the country. To make politics shine in our country, differences have been created in the name of religion in each other’s sects, all of them will be threaded together. My heart repeatedly says that religion is sitting in its heart. In the scriptures of all religions, we find love, peace, reverence, faith and goodwill. Religion paves the way for the nation to walk on the path of harmony and peace. Perseverance is the source of inspiration to walk on the path of self-reflection. Religions are made for the welfare of human life. A dream was decorated in the heart. I think in my heart that peace and harmony should be established in my India. While walking on the path of peace, art and skill automatically merge. May such a wave arise in which welfare of all takes place. There is no difference in religion. Religion and culture will be there in our life, then we will establish peace in the society. Amrit, Rashtrapath, Karma path, Duty path, in these words life itself moves on the path of truth. For one year a person speaks and listens to these words even unknowingly, purity comes in the life of a particular person, this is the Indian culture. Every word has its own meaning and quality in Indian culture.