रसोपासना – भाग-43

ब्याह मण्डप की झाँकी…

🙏”दोउ लालन ब्याह लड़ावौ री, छबि निरखत नैंन सिरावौ री !!

सुख आसन पर पधरावौ री , प्रेम को गठजोर जुरावौ री !!

भाँवरि में मन भरमावौ री , सु बिधोकत वेद पढ़ावौ री !!”

रंगदेवी सखी, अन्य सखियों को समझा रही हैं…

अरी सखियों ! दूलह दुलहिन को बड़े प्रेम से ब्याह मण्डप में ले चलो…वहाँ धरती में सुन्दर वेदी का निर्माण करके…इनको सुखासन में विराजमान कराओ… सुनो सुनो ! प्रेम की गाँठ जोर दो इन दोनों की…ताकि ये कभी अलग ही न हो सकें… विधि विधान से वेदों का पाठ पढ़वाओ…रंगदेवी ने सब सखियों को आदेश दिया ।

कुछ याद आया रंगदेवी सखी को…तो फिर समझाने लगीं ।

उसके बाद सुनो…”प्रिया प्रियतम के हाथों में जो कंकण बंधा हुआ है ना… उसे छुडाओ… फिर हँसती हुयी बोलीं…दूलह दुलहिनि को जुवा भी तो खिलाओ… और सखियों ! बिना प्रेम भरी गारी के कैसा ब्याह ? इसलिये मीठी मीठी गारी भी तो दो…ताकी श्याम सुन्दर का मन प्रसन्न हो जाए ।

और फिर… वर बधु की छबि देख देख कर इनकी नजर भी उतारते जाना सखियों ! आहा ! आनन्दित हो रंगदेवी सबको एक एक चीज बता रही थीं ।

🙏जो आज्ञा ! रंगदेवी सखी जु ! ये कहकर युगल सरकार को धीरे धीरे सब सखियाँ ब्याह मण्डप पर ले आयी हैं…

वो ब्याह मण्डप अद्भुत है…फूलों की ऐसी अद्भुत कारीगरी सखियों ने की है…जिसका वर्णन करना भी बड़ा कठिन कार्य है ।

फूलों की छज्जा है ऊपर… चारों ओर हरे हरे बाँस लगाये गए हैं…उनके ऊपर बन्दन वार है…जो पञ्च पल्लव के हैं ।

केले के खम्भे बड़े सुन्दर लग रहे हैं…गुलाब जल का छिड़काव, बड़ा सुगन्धित वातावरण का निर्माण कर रहा है…

कमल के फूलों का ढेर है एक तरफ… दूसरी ओर… गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को उतार कर पाँवड़े में बिछाये गए हैं…जिसमें चरण रखते हुए युगल सरकार ब्याह मण्डप की ओर आरहे हैं ।

मंडप के द्वार पर… रंग बिरंगे ध्वजा पताका सजाये गए हैं…और द्वार पर ही चार सखियाँ खड़ी हैं…जो बड़े ही सुरीले ढंग से शहनाई बजा रही हैं…जिसके कारण वातावरण और रसीला हो उठा है ।

🙏दूलह दुलहिन पधार रहे हैं…मौर मौरी बाँधे हुए हैं…सिर पर सुनहरी पाग… सिर पेंच उसमें खिली हुयी कलँगी… मोतियों की लटकन दूलह के… और दुलहिन तो , हम सखियों को सुख देने वाली हमारी प्यारी श्री किशोरी जु… उनके श्रृंगार का क्या वर्णन करें !

सखियाँ पीछे चल रही हैं…छत्र लेकर… दो सखियाँ आजु बाजू में… चँवर को ढुराती हुयी…युगल के आगे चार सखियाँ नाचती हुयी चल रही हैं…मंगल गीत गा रही हैं…

कुछ सखियाँ फूलों को उछाल रही हैं…कुछ सखियाँ जयजयकार कर रही हैं…और इस तरह ब्याह मण्डप में युगल ने पदार्पण किया है ।🙏


🙏सुन्दर फूलों का मण्डप है…रंगदेवी ने मण्डप में प्रवेश से पहले… दूलह दुलहिन के माथे में रोरी का तिलक लगा दिया… मोतियों का अक्षत चढ़ा दिया…फिर ललिता सखी ने मोतियों की थाल दूलह दुलहिनि के ऊपर वार कर हंस हंसिनी के अनेक जोड़ो को खिला दिया…

🙏हे दम्पति सुकुमार ! अब आप लोग ब्याह मण्डप में पधारो…

रंगदेवी ने बड़े प्रसन्न होकर दम्पति को कहा ।

उस समय की झाँकी देखने जैसी थी…पूरा निकुञ्ज झूम उठा था… सखियाँ उन्मत्त नृत्य कर रही थीं…वाद्य यन्त्र सब बज रहे थे… अविरल पुष्पों की वर्षा हो ही रही थी ।

अब बस कुछ समय और रुको आप…बस भाँवर का शुभ मुहूर्त आरहा है…आप कुछ देर गीत संगीत का आनंद लो… ये कहते हुये रंगदेवी सखी मुस्कुरा रही हैं ।

हे सखी ! का सबरो काज तिहारे मुहूर्त में ही होयगो !…

“तेरो मुहूर्त पहले नाय आय सके ?…दूलह सरकार को बड़ी जल्दी है…इसलिये सखियों को ये जल्दी करने को कह रहे हैं” ।

🙏नही ! दूलह सरकार !…शुभ काम तो शुभ मुहूर्त में ही होते हैं…

सखी ने अतिप्रसन्नता में कहा ।

अच्छा अच्छा सखी ! तो तिहारो मुहूर्त ही ठीक है… ब्याह तो करनो ही है…श्याम सुन्दर की बातें सुनकर सब सखियाँ खूब हँसीं ।

अद्भुत सजावट है उस मण्डप की… गीत गा रही हैं सखियाँ… मोती वार रही हैं…मण्डप की छत सफेद चाँदनी से चमक रहा है…छत की बन्दन वार मोतियों की झालर से जगमगा रहा है ।

🙏तब पहले सखियाँ आरती करती हैं मण्डप में विराजने से पहले…दम्पति की…

और सब नाचती हैं…दिव्य आरती हो रही है ।

🙏आरती सब मिली सखियाँ वारती !

🙏जै जै जुगल किशोर हमारे , श्रीसर्वेश्वर निज मन धारती !!

🙏श्री मुख मण्डल लखि लखि शोभा, महानन्दरस नित अवगाहति !!

शरण सदा “श्रीराधासर्वेश्वर” , युगल निरन्तर नयन निहारती !!

बाजे गाजों के साथ… वेद ध्वनि सब सखियाँ ही करती हैं…

🙏जयजयकार हो रहा है…बारबार ।

🙏जय जय श्री राधे ! जय जय श्री राधे ! जय जय श्री राधे !!

🙏गूँज रहा है पूरा निकुञ्ज… श्री राधा नाम से ।🙏

शेष “रसचर्चा” कल…

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

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