बजरंग बाण पाठ हिंदी अर्थ सहित

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दोहा:

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सन्मान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

भावार्थ:- जो भी व्यक्ति पूर्ण प्रेम विश्वास के साथ विनय पूर्वक अपनी आशा रखता है, रामभक्त हनुमान जी की कृपा से उसके सभी कार्य शुभदायक और सफल होते हैं ।।

चौपाई:

जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

भावार्थ:- हे भक्त वत्सल हनुमान जी आप संतों के हितकारी हैं, कृपा पूर्वक मेरी विनती भी सुन लीजिये ।।

जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।

भावार्थ:- हे प्रभु पवनपुत्र आपका दास अति संकट में है , अब बिलम्ब मत कीजिये एवं पवन गति से आकर भक्त को सुखी कीजिये ।।

जैसे कूदि सुन्धु के पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।

भावार्थ:- जिस प्रकार से आपने खेल-खेल में समुद्र को पार कर लिया था और सुरसा जैसी प्रबल और छली के मुंह में प्रवेश करके वापस भी लौट आये ।।

आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।

भावार्थ:- जब आप लंका पहुंचे और वहां आपको वहां की प्रहरी लंकिनी ने ने रोका तो आपने एक ही प्रहार में उसे देवलोक भेज दिया ।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।

भावार्थ:- राम भक्त विभीषण को जिस प्रकार अपने सुख प्रदान किया , और माता सीता के कृपापात्र बनकर वह परम पद प्राप्त किया जो अत्यंत ही दुर्लभ है ।।

बाग़ उजारि सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।

भावार्थ:- कौतुक-कौतुक में आपने सारे बाग़ को ही उखाड़कर समुद्र में डुबो दिया एवं बाग़ रक्षकों को जिसको जैसा दंड उचित था वैसा दंड दिया ।।

अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।

भावार्थ:- बिना किसी श्रम के क्षण मात्र में जिस प्रकार आपने दशकंधर पुत्र अक्षय कुमार का संहार कर दिया एवं अपनी पूछ से सम्पूर्ण लंका नगरी को जला डाला ।।

लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।

भावार्थ:- किसी घास-फूस के छप्पर की तरह सम्पूर्ण लंका नगरी जल गयी आपका ऐसा कृत्य देखकर हर जगह आपकी जय जयकार हुयी ।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।

भावार्थ:- हे प्रभु तो फिर अब मुझ दास के कार्य में इतना बिलम्ब क्यों ? कृपा पूर्वक मेरे कष्टों का हरण करो क्योंकि आप तो सर्वज्ञ और सबके ह्रदय की बात जानते हैं ।।

जय जय लखन प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।

भावार्थ:- हे दीनों के उद्धारक आपकी कृपा से ही लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे , जिस प्रकार आपने उनके प्राण बचाये थे उसी प्रकार इस दीन के दुखों का निवारण भी करो ।।जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।

भावार्थ:- हे योद्धाओं के नायक एवं सब प्रकार से समर्थ, पर्वत को धारण करने वाले एवं सुखों के सागर मुझ पर कृपा करो ।।ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।

भावार्थ:- हे हनुमंत – हे दुःख भंजन – हे हठीले हनुमंत मुझ पर कृपा करो और मेरे शत्रुओं को अपने वज्र से मारकर निस्तेज और निष्प्राण कर दो ।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज निज दास उबारो ।।

भावार्थ:- हे प्रभु गदा और वज्र लेकर मेरे शत्रुओं का संहार करो और अपने इस दास को विपत्तियों से उबार लो ।।

सुनि पुकार हुंकार देय धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।

भावार्थ:- हे प्रतिपालक मेरी करुण पुकार सुनकर हुंकार करके मेरी विपत्तियों और शत्रुओं को निस्तेज करते हुए मेरी रक्षा हेतु आओ , शीघ्र अपने अस्त्र-शस्त्र से शत्रुओं का निस्तारण कर मेरी रक्षा करो ।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।

भावार्थ:- हे ह्रीं ह्रीं ह्रीं रूपी शक्तिशाली कपीश आप शक्ति को अत्यंत प्रिय हो और सदा उनके साथ उनकी सेवा में रहते हो , हुं हुं हुंकार रूपी प्रभु मेरे शत्रुओं के हृदय और मस्तक विदीर्ण कर दो ।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।

भावार्थ:- हे दीनानाथ आपको श्री हरि की शपथ है मेरी विनती को पूर्ण करो – हे रामदूत मेरे शत्रुओं का और मेरी बाधाओं का विलय कर दो ।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।

भावार्थ:- हे अगाध शक्तियों और कृपा के स्वामी आपकी सदा ही जय हो , आपके इस दास को किस अपराध का दंड मिल रहा है ?

पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।

भावार्थ:- हे कृपा निधान आपका यह दास पूजा की विधि , जप का नियम , तपस्या की प्रक्रिया तथा आचार-विचार सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं रखता मुझ अज्ञानी दास का उद्धार करो ।।

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।

भावार्थ:- आपकी कृपा का ही प्रभाव है कि जो आपकी शरण में है वह कभी भी किसी भी प्रकार के भय से भयभीत नहीं होता चाहे वह स्थल कोई जंगल हो अथवा सुन्दर उपवन चाहे घर हो अथवा कोई पर्वत ।।

पांय परों कर ज़ोरि मना। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

भावार्थ:- हे प्रभु यह दास आपके चरणों में पड़ा हुआ हुआ है , हाथ जोड़कर आपके अपनी विपत्ति कह रहा हूँ , और इस ब्रह्माण्ड में भला कौन है जिससे अपनी विपत्ति का हाल कह रक्षा की गुहार लगाऊं ।।

जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।

भावार्थ:- हे अंजनी पुत्र हे अतुलित बल के स्वामी , हे शिव के अंश वीरों के वीर हनुमान जी मेरी रक्षा करो ।।

बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।

भावार्थ:- हे प्रभु आपका शरीर अति विशाल है और आप साक्षात काल का भी नाश करने में समर्थ हैं , हे राम भक्त , राम के प्रिय आप सदा ही दीनों का पालन करने वाले हैं ।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।

भावार्थ:- चाहे वह भूत हो अथवा प्रेत हो भले ही वह पिशाच या निशाचर हो या अगिया बेताल हो या फिर अन्य कोई भी हो ।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।

भावार्थ:- हे प्रभु आपको आपके इष्ट भगवान राम की सौगंध है अविलम्ब ही इन सबका संहार कर दो और भक्त प्रतिपालक एवं राम-भक्त नाम की मर्यादा की आन रख लो ।।

जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।

भावार्थ:- हे जानकी एवं जानकी बल्लभ के परम प्रिय आप उनके ही दास कहाते हो ना , अब आपको उनकी ही सौगंध है इस दास की विपत्ति निवारण में विलम्ब मत कीजिये ।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।

भावार्थ:- आपकी जय-जयकार की ध्वनि सदा ही आकाश में होती रहती है और आपका सुमिरन करते ही दारुण दुखों का भी नाश हो जाता है ।।

चरण पकर कर ज़ोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।

भावार्थ:- हे रामदूत अब मैं आपके चरणों की शरण में हूँ और हाथ जोड़ कर आपको मना रहा हूँ – ऐसे विपत्ति के अवसर पर आपके अतिरिक्त किससे अपना दुःख बखान करूँ ।।

उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर ज़ोरि मनाई ।।

भावार्थ:- हे करूणानिधि अब उठो और आपको भगवान राम की सौगंध है मैं आपसे हाथ जोड़कर एवं आपके चरणों में गिरकर अपनी विपत्ति नाश की प्रार्थना कर रहा हूँ ।।

ॐ चं चं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।

भावार्थ:- हे चं वर्ण रूपी तीव्रातितीव्र वेग (वायु वेगी ) से चलने वाले, हे हनुमंत लला मेरी विपत्तियों का नाश करो ।।

ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।

भावार्थ:- हे हं वर्ण रूपी आपकी हाँक से ही समस्त दुष्ट जन ऐसे निस्तेज हो जाते हैं जैसे सूर्योदय के समय अंधकार सहम जाता है ।।

अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।

भावार्थ:- हे प्रभु आप ऐसे आनंद के सागर हैं कि आपका सुमिरण करते ही दास जन आनंदित हो उठते हैं अब अपने दास को विपत्तियों से शीघ्र ही उबार लो ।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।भावार्थ:- यह बजरंग बाण यदि किसी को मार दिया जाए तो फिर भला इस अखिल ब्रह्माण्ड में उबारने वाला कौन है ?

पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।

भावार्थ:- जो भी पूर्ण श्रद्धा युक्त होकर नियमित इस बजरंग बाण का पाठ करता है , श्री हनुमंत लला स्वयं उसके प्राणों की रक्षा में तत्पर रहते हैं ।।

यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।

भावार्थ:- जो भी व्यक्ति नियमित इस बजरंग बाण का जप करता है , उस व्यक्ति की छाया से भी बहुत-प्रेतादि कोसों दूर रहते हैं ।।

धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।

भावार्थ:- जो भी व्यक्ति धुप-दीप देकर श्रद्धा पूर्वक पूर्ण समर्पण से बजरंग बाण का पाठ करता है उसके शरीर पर कभी कोई व्याधि नहीं व्यापती है ।।
॥दोहा॥
उर प्रतीति दृढ सरन हवै,पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर करै,सब काज सफल हनुमान।
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे,सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल सुभ,सिद्ध करैं हनुमान॥

भावार्थ:- प्रेम पूर्वक एवं विश्वासपूर्वक जो कपिवर श्री हनुमान जी का स्मरण करता हैं एवं सदा उनका ध्यान अपने हृदय में करता है उसके सभी प्रकार के कार्य हनुमान जी की कृपा से सिद्ध होते हैं ।।

जय श्री राम !!
लाल देह लाली लसै, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कापिशुर ॥



couplet:

Surely you have faith in love, have humility and respect. All good things for you, prove it Hanuman.

Meaning:- Whoever puts his hope humbly with full love and faith, all his works are auspicious and successful by the grace of Ram Bhakt Hanuman ji.

Quadruple:

Jai Hanuman saint benefactor. Listen, Lord Araj is ours.

Meaning:- O devotee Vatsal Hanuman ji, you are the benefactor of saints, please listen to my request also.

Do not delay the cause of the people. Wish you great happiness.

Meaning:- O Lord Pawan, your servant is in extreme trouble, do not delay now and please the devotee by coming at the speed of the wind.

Like jump Sundhu’s mercury. Sursa Badan Paithi Vistara.

Meaning:- Just as you had crossed the ocean in the game and came back after entering the mouth of a strong and deceitful like sursa.

Go ahead, stopped Lankini. Marehu kicked sur loka..

Meaning:- When you reached Lanka and there you were stopped by the sentinel Lankaini, then you sent him to Devlok in a single attack.

Go give happiness to Vibhishana. Sita has attained the supreme position.

Meaning:- The way Rama gave his happiness to the devotee Vibhishana, and by becoming the beneficiary of Mother Sita, he attained that supreme position which is very rare.

Garden Ujari Sindhu Maha Bora. Very eager Jamkatara Tora.

Meaning:- In your prodigy, you uprooted the whole garden and drowned it in the sea and punished the garden guards as per their punishment.

Akshay Kumar mari sahara. Let’s go to Loom Wrap Lank..

Meaning:- The way you killed Akshay Kumar, son of Dasandhar, in a moment without any labor and burnt the entire city of Lanka with your own request.

The lacquer was like lacquer. Jai Jai Dhuni brother in Surpur.

Meaning:- The whole city of Lanka got burnt like a thatch of thatch, seeing your act like this, you were cheered everywhere.

Now because of the delay, lord. Please those inner souls.

Meaning:- O Lord, then why is there so much delay in the work of my servant? Kindly remove my sufferings because you are omniscient and know the heart of everyone.

Jai Jai Lakhan, the giver of life. Be eager to deal with all the sorrows.

Meaning:- O savior of the oppressed, it is by your grace that Lakshman ji’s life was saved, just as you saved his life, in the same way remove the sorrows of this deen. Jai Giridhar, like Sukhsagar. Sur Group Samarth Bhatnagar.

Meaning:- O hero of warriors and capable in all respects, the one who bears the mountain and the ocean of happiness, have mercy on me. The nails of Bairihi Maru Bajra.

Meaning:- O Hanuman – O sorrow-broker – O stubborn Hanuman, have mercy on me and make my enemies dull and lifeless by killing them with your thunderbolt.

Hit the mace bajra la barihin. Maharaj Nij Das rescue.

Meaning:- O Lord, take mace and thunderbolt and destroy my enemies and rescue this servant of yours from the calamities.

Hearing the cry, he shouted and ran. Bajra gada hanu vilamba na laavo.

Meaning:- O patron of my compassion, come to my rescue, humiliating my adversities and enemies, come to my rescue, quickly dispose of my enemies with your weapons and protect me.

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Meaning:- O mighty Kapish in the form of Hreem Hreem, you are very dear to Shakti and always remain with Him in His service, May the Lord, like Hun, break the hearts and heads of my enemies.

Truth ho hari swath pye ke. Ramdoot Dharu Maru Jay Ke.

Meaning:- O Dinanath, you are sworn by Shri Hari, fulfill my request – O Ramdoot, dissolve my enemies and my obstacles.

Jay Jay Jay Hanuman Agadha. What is the crime of suffering people?

Meaning:- O lord of immense powers and grace, always be the hail to you, for what crime is this slave of yours getting punished?

Worship, chant, tapa, name achara. I don’t know, my servant is yours.

Meaning:- O grace, this servant of yours does not have any knowledge regarding the method of worship, the rule of chanting, the process of austerity and ethics, save me the ignorant servant.

Forests and gardens, then mountains in the house. I am not afraid of you.

Meaning:- It is the effect of your grace that the one who is in your shelter is never afraid of any kind of fear, whether the place is a forest or a beautiful garden, whether it is a house or a mountain.

Refuse to do it on foot. This opportunity is now what Gohrawan.

Meaning:- O Lord, this servant is lying at your feet, with folded hands, I am telling your own calamity, and who is good in this universe, from whom I should plead for protection by telling the condition of my calamity.

Jai Anjani Kumar Balwanta. Shankar Suvan Veer Hanumanta.

Meaning:- O son of Anjani, O lord of incomparable strength, O part of Shiva, the heroic Hanuman ji, protect me.

Badan Karal Kal Kul Ghalak. Ram Sahay Sada Prati Palak ।।

Meaning:- O Lord, your body is very huge and you are capable of destroying even the real time, O Ram devotee, you are always the follower of the humble.

Ghost Ghost Vampire Nocturnal. Agni died in a timeless period.

Meaning:- Whether it is a ghost or a phantom, even if it is a vampire or a nocturnal or a ghastly animal or any other person.

To kill them he took the oath of Ram. Name Rakhu Nath Marjad.

Meaning:- O Lord, you have the blessings of your favorite Lord Ram, destroy all these without any delay and keep the dignity of the name of the devotee Pratipalak and Ram-Bhakt.

Janaksuta Hari Das Kahavau. So that the oath should not be delayed.

Meaning:- O dearest of Janaki and Janaki Vallabh, you are called their own slaves, are you not, now you have the blessings of them, do not delay in redressing the misfortunes of this slave.

Jai Jai Jai Dhuni Hota Akasha. Sumirat would have been painful, sorrow and destruction.

Meaning:- The sound of your hailing and cheering always keeps on happening in the sky and by doing your praises, even the dreaded sorrows get destroyed.

Make your feet and eat them. This opportunity is no longer Gauhraavan.

Meaning:- O Ramdoot, now I am in the shelter of your feet and I am celebrating you with folded hands – on the occasion of such calamity, with whom should I express my sorrow.

Get up, get up, let’s go Ram. Celebrated every day.

Meaning:- O Karunanidhi, get up now and you are blessed by Lord Rama.

Chan cha cha cha cha chapal chalanta. Oh Hanuman Hanu Hanu Hanu Hanu Hanumanta.

Meaning:- O one who walks with the speed of the wind, O Hanuman Lala, destroy my calamities.

Oh huh hank det kapi playful. Oh no.

Meaning:- O oh, because of your character in the form of varna, all the wicked people become languishing like darkness at sunrise.

Get your people out immediately. Sumirat ho joy us.

Meaning:- O Lord, you are such an ocean of joy that the slaves become happy as soon as you remember you, now get your servant out of the troubles soon.

Hit this Bajrang Baan. Tahi Kaho then who will be rescued. Meaning:- If someone is killed by this Bajrang arrow, then who is going to rescue him in this whole universe?

Recite Bajrang Baan. Hanumant, please protect Pram.

Meaning:- Whoever recites this Bajrang Baan regularly with full faith, Shri Hanumant Lal himself is ready to protect his life.

Chant this Bajrang Baan. All the ghosts and phantoms tremble.

Meaning:- The person who regularly chants this Bajrang Baan, remains far away from the shadow of that person.

Incense should be given and chanted always. Take tan nahin rahe kalesha.

Meaning:- The person who recites Bajrang Baan with full dedication by giving incense and lamp, never gets any disease on his body. doha॥ Ur belief is strong, recite it and meditate. Every obstacle is a hurdle, everyone is successful Hanuman. Send love, always stay and meditate. Tehi’s cause is gross, perfect Hanuman.

Meaning:- The one who remembers Lord Hanuman ji with love and faith and always meditates on him in his heart, all his works are accomplished by the grace of Hanuman ji.

Long live Rama !! Red body, red lasai, aru dhari red langur. Vajra body demon Dalan, Jay Jay Jay Kapishur.

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