हरगिज नहीं करेंगे
एक था राक्षस उसने एक आदमीको पकड़ लिया था। वह उससे बराबर काम लेता रहता था। जब कभी वह काम न करता, तो राक्षस कहता- ‘खा जाऊँगा तुझे, अभी चट कर डालूँगा।’
शुरूमें वह मनुष्य उससे डरता रहता और डरसे सब काम करता रहा। एक दिन वह सोचने लगा- ‘यह मुझे हर रोज खा जानेकी, चट कर डालनेकी धमकी देता है। मरना तो है ही। यह मुझे कभी-न-कभी मार ही डालेगा। फिर रोज-रोज घुट-घुटकर क्यों मरना ! अभी क्यों न मर जाऊँ ?’
दूसरे दिन राक्षस आया और उसे डाँटकर कहने लगा- ‘खा जाऊँगा, तुझे चट कर डालूँगा।’
परंतु अब उसकी डाँट फटकार उस मनुष्यके लिये असह्य हो गयी थी, इसलिये उसने कहा- ‘ले, खा डाल, सोचता क्या है, देर न कर।’
यह सुनकर राक्षसको बड़ा आश्चर्य हुआ। वह उसे खा जानेवाला थोड़े ही था ! उसे तो एक गुलाम चाहिये था। वह सोचने लगा-‘अगर मैं इसको खा जाता हूँ, तो मेरा यह सारा काम कौन करेगा ?’
उसने डराने-धमकानेकी बात छोड़ दी।
हमने देखा कि देहकी आसक्ति कितनी खतरनाक है! यही हमें हौवा बनकर डराया करती है। जहाँ हमने देहकी आसक्ति छोड़ी कि हम स्वतन्त्र हुए।
इसलिये हर छोटे-बड़े में यह ताकत पैदा होनी चाहिये कि अगर कोई डरा-धमकाकर कुछ कराना चाहे, तो वह साफ-साफ कह दे – ‘नहीं करेंगे। हरगिज नहीं करेंगे।’
will never
There was a demon who had caught a man. He used to take equal work from him. Whenever he did not work, the demon would say- ‘I will eat you, I will lick you right now.’
In the beginning, that man used to be afraid of him and kept doing everything out of fear. One day he started thinking- ‘He threatens to eat me everyday, to lick me. One has to die. It’s going to kill me sooner or later. Then why die by suffocation everyday! Why not die now?’
The second day the demon came and scolded him and said- ‘I will eat you, I will lick you.’
But now his rebuke had become unbearable for that man, so he said – ‘Take it, eat it, what do you think, don’t delay.’
The demon was very surprised to hear this. He was just about to eat it! He wanted a slave. He started thinking – ‘If I eat this, then who will do all this work for me?’
He stopped talking about intimidation.
We have seen how dangerous the attachment of the flesh is! This scares us like a hawk. Where we left the attachment of the body that we became free.
That’s why this power should be developed in every big or small person that if someone wants to get something done by intimidation, he should say clearly – ‘We will not do it’. Definitely will not.