मित्रकी पहचान
दो मित्र एक साथ भ्रमण करने निकले थे। संयोगवश उसी समय वहाँ एक भालू आ पहुँचा। एक मित्र तो भालूको देखते ही अत्यन्त भयभीत होकर दूसरे मित्रकी परवाह किये बिना ही भागकर निकटके पेड़पर चढ़ गया। दूसरा मित्र अकेले भालूके साथ लड़ना असम्भव जानकर और दूसरा कोई चारा न देखकर, साँस रोक करके मुर्देके समान धरतीपर लोट गया। उसने पहले सुन रखा था कि भालू मरे हुए आदमीको हानि नहीं पहुँचाता ।
भालूने आकर उसके नाक, कान, मुख, आँख तथा सीनेकी परीक्षा की और उसे मरा हुआ समझकर चला गया। भालूके चले जानेके बाद पहला मित्र पेड़से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्रसे जाकर पूछा ‘भाई, भालू तुम्हें क्या कह गया? मैंने देखा कि वह बड़ी देरतक तुम्हारे कानसे अपना मुख लगाये हुए था। ‘
दूसरा मित्र बोला- ‘भालू मुझे यही कह गया कि जो मित्र संकटके समय साथ छोड़कर भाग जाता है, उसके साथ फिर कभी बातचीत मत करना।’
friend’s identity
Two friends went out for a trip together. Coincidentally at the same time a bear arrived there. One friend got very scared on seeing the bear and without caring for the other friend, ran away and climbed a nearby tree. The other friend, finding it impossible to fight with the bear alone and seeing no other option, breathlessly returned to the ground like a dead man. He had heard earlier that a bear does not harm a dead man.
The bear came and examined his nose, ears, mouth, eyes and chest and went away thinking him dead. After the bear left, the first friend got down from the tree. He went to another friend and asked, ‘Brother, what did the bear say to you? I saw that he was touching your ear for a long time. ,
The second friend said – ‘The bear told me that the friend who runs away leaving you in times of trouble, never talk to him again.’