पूज्यपाद गोस्वामी श्रीगुल्लूजी देववाणी – संस्कृत, हिंदी या व्रजभाषाको छोड़कर दूसरी भाषाका एक शब्द भी नहीं बोलते थे। उन्होंने एक दिन सुना कि उनके पुत्र गोस्वामी श्रीराधाचरण अंग्रेजी पढ़ रहे हैं, तब आपने उन्हें अपने पास बुलाया और बहुत समझाया। एक बार आप श्रीसाहूजी साहेब श्रीललितकिशोरीजीसे मिले थे।बातों-ही-बातोंमें बंदूकका प्रसङ्ग सामने आ गया। आपका कड़ा नियम था कि संस्कृत और व्रजभाषाको छोड़कर एक शब्द भी नहीं बोलूँगा। आपने बंदूक चलानेका वर्णन इस प्रकार व्रजभाषामें किया-
– ‘लौहनलिकामें श्याम चूर्ण प्रवेश अग्नि
दीनी तो भड़ाम शब्द भयौ ।’
Pujyapad Goswami Shrigulluji Devvani – Except Sanskrit, Hindi or Vrajbhasha, he did not speak a single word of any other language. One day he heard that his son Goswami Shriradhacharan was studying English, then you called him to you and explained a lot. Once you met Shri Sahuji Saheb Shri Lalit Kishoriji. The topic of gun came to the fore. You had a strict rule that except Sanskrit and Vrajbhasha, I will not speak a single word. You described the use of a gun in Vrajbhasha as follows:
Black powder entering the iron pipe
Fear the word ‘Deeni’.