भक्त मोरया गोस्वामी कर्नाटक के एक छोटे से गांव से थे, वे गणेश जी के परम भक्त थे, हर जीव में गणेश जी को ही देखते थे। किसी ने घर पर चूहा मार बाहर फेक दिया तो वो उसका अंतिम संस्कार कर दिया करते थे, कहते ये गणेश जी का वाहन है।
कोई स्वान मरा मिलता उसका भी अंतिम संस्कार कर देते, कोई चिड़िया, कोई भी जीव मृत मिलता तो उनका अंतिम संस्कार कर देते।
संत जी अपनी गणेश भक्ति में ही मगन रहते, सभी जीवो को अत्यन्त प्रेम करते थे जीव भी उनसे उतना ही प्रेम करते थे, वैसे भी जब प्रभु से प्रेम होता है न तब सब जीवो से प्रेम हो ही जाता है।
कुछ समय बाद उन्होंने कर्नाटक छोड़ दिया और महाराष्ट्र आ गए। यहां भी भक्त मोरया गणेश जी की वही नित्य की दिनचर्या, वहीं सेवा, वहीं कर्म। जो जीव मृत मिले उसका अंतिम संस्कार कर देना, श्रीगणेश का मनन, श्रीगणेश से प्रीति भक्ति।
अब यहां के गांव वाले भी उनकी इस कर्म से चिढ़ाने लगे, उन्होंने संत जी को गांव से निकाल दिया, गांव से उनको गणेश जी हाथ पकड़ ले जाने लगे तो संत जी ने भगवान से कहा, भगवन आप यही रहे, यही स्थापित हो जाइए कुछ भला हो गांव वालो का, तो गणेश जी ने उनकी बात मान अपने पोते आमोद से कहां की आप संत जी के संग रहे, तब आमोद भक्त मोरया गोस्वामी जी का हाथ पकड़े चलते रहे। ऐसे वे आठ गांव से गांव वालो द्वारा निकाले गए, संत मोरया गोस्वामी जी, और वही आठ गांवों में अष्ट विनायक के रूप में स्थापित है गणेश जी।
अन्तिम समय में गणेशजी ने भक्त मोरया को दर्शन दिए और उनसे पूछा आप क्या चाहते हो, बोलिए जो इच्छा हो वो पूर्ण होगी, तो भक्त जी ने कहा प्रभु मेरा नाम आप के नाम के संग जुड़ जाए बस…
फिर इन्होंने जीवित समाधि ले ली। तभी से कहते हैं, गणपति बप्पा मोरया… गणपति बप्पा मोरया कहने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
गणपति बप्पा मोरया, मंगळमूर्ती मोरया।
Devotee Moraya Goswami was from a small village in Karnataka, he was a great devotee of Lord Ganesha, he saw Lord Ganesha in every living being. If someone killed a rat in his house and threw it out, he used to cremate it, saying that it is the vehicle of Lord Ganesha.
If a swan was found dead, it would be cremated, if a bird or any living creature was found dead, it would be cremated.
The saint remained engrossed in his devotion to Ganesha, he loved all the living beings very much and the living beings also loved him equally, anyway when one loves the Lord then one also loves all the living beings.
After some time he left Karnataka and came to Maharashtra. Here also the same daily routine of devotee Morya Ganesh ji, same service, same work. Perform the last rites of any creature found dead, meditate on Lord Ganesha, and have love and devotion towards Lord Ganesha.
Now the villagers here also started teasing him with his actions, they expelled the saint from the village, Ganesh ji started taking him out of the village holding his hand, then the saint said to God, Lord, you stay here, let yourself be established here. Good will happen to the villagers, so Ganesh ji listened to his words and said to his grandson Amod that you should stay with the saint, then Amod kept walking holding the hand of devotee Moraya Goswami ji. In this way, Saint Morya Goswami Ji was expelled from eight villages by the villagers, and Ganesh Ji is installed in the form of Ashta Vinayak in the same eight villages.
At the last moment, Ganeshji appeared to devotee Morya and asked him what do you want, tell me whatever wish you have, it will be fulfilled, then the devotee said, Lord, my name should be united with your name…
Then he took alive Samadhi. Since then it is said, Ganpati Bappa Morya… Ganesh ji becomes happy by saying Ganpati Bappa Morya.
Ganpati Bappa Morya, Mangalmurti Morya.