धार्मिक कथाओं के अनुसार, आज से पांच हजार
दो सौ वर्ष पूर्व मथुरा जिले के गोकुल-महावन कस्बे
के निकट “रावल गांव” में वृषभानु एवं
कीर्तिदा की पुत्री के रूप में राधा रानी ने जन्म
लिया था। राधा रानी के जन्म के संबंध में यह
कहा जाता है कि राधा जी माता के पेट से
पैदा नहीं हुई थी उनकी माता ने अपने गर्भ में
“वायु” को धारण कर रखा था उसने योग
माया कि प्रेरणा से वायु को ही जन्म दिया.
परन्तु वहाँ स्वेच्छा से श्री राधा प्रकट हो गई.
श्री राधा रानी जी कलिंदजा कूलवर्ती निकुंज
प्रदेश के एक सुन्दर मंदिर में अवतीर्ण हुई उस समय
भाद्र पद का महीना था, शुक्ल पक्ष
की अष्टमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, मध्यान्ह
काल १२ बजे और सोमवार का दिन था. उस समय
राधा जी के जन्म पर नदियों का जल पवित्र
हो गया सम्पूर्ण दिशाए प्रसन्न निर्मल हो उठी.
वृषभानु और कीर्तिदा ने पुत्री के कल्याण
की कामना से आनंददायिनी दो लाख उत्तम
गौए ब्राह्मणों को दान में दी.
ऐसा भी कहा जाता है कि एक दिन जब वृषभानु
जी जब एक सरोवर के पास से गुजर रहे थे, तब उन्हें एक
बालिका “कमल के फूल” पर तैरती हुई मिली, जिसे
उन्होंने पुत्री के रूप में अपना लिया।
राधा रानी जी आयु में श्रीकृष्ण से ग्यारह माह
बडी थीं. लेकिन श्री वृषभानु जी और
कीर्ति देवी को ये बात जल्द ही पता चल गई
कि श्री किशोरी जी ने अपने प्राकट्य से
ही अपनी आँखे नहीं खोली है. इस बात से उन्हें
बड़ा दुःख हुआ कुछ समय पश्चात जब नन्द महाराज
कि पत्नी यशोदा जी गोकुल से अपने लाडले के
साथ वृषभानु जी के घर आती है तब वृषभानु जी और
कीर्ति जी उनका स्वागत करती है
यशोदा जी कान्हा को गोद में लिए
राधा जी के पास आती है. और जैसे ही श्री कृष्ण
और राधा आमने-सामने आते है . तब
राधा जी पहली बार अपनी आँखे खोलती है. अपने
प्राण प्रिय श्री कृष्ण को देखने के लिए , वे एक टक
कृष्ण जी को देखती है, अपनी प्राण प्रिय
को अपने सामने एक सुन्दर-सी बालिका के रूप में
देखकर कृष्ण जी स्वयं बहुत आनंदित होते है. जिनके
दर्शन बड़े बड़े देवताओ के लिए भी दुर्लभ है तत्वज्ञ
मनुष्य सैकड़ो जन्मो तक तप करने पर
भी जिनकी झाँकी नहीं पाते, वे
ही श्री राधिका जी जब वृषभानु के
यहाँ साकार रूप से प्रकट हुई. और गोप ललनाएँ जब
उनका पालन करने लगी. स्वर्ण जडित और सुन्दर
रत्नों से रचित चंदन चर्चित पालने में
सखी जनो द्वारा नित्य झुलाई जाती हुई
श्री राधा प्रतिदिन शुक्ल पक्ष के
चंद्रमा की कला की भांति बढ़ने लगी….
श्री राधा क्या है?:- रास की रंग
स्थली को प्रकाशित करने वाली चन्द्रिका ,
वृषभानुमंदिर की दीपावली गोलोक
चूड़ामणि श्री कृष्ण की हारावली है. हमारा उन
परम शक्ति को सत्-सत् नमन है।।
जय जय श्री राधे….
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
According to religious stories, from today five thousand Gokul-Mahavan town of Mathura district two hundred years ago Vrishbhanu and Radha Rani was born as the daughter of Kirtida. Had taken. This regarding the birth of Radha Rani It is said that Radha ji came from mother’s womb. He was not born in his mother’s womb. He had yoga by holding “Vayu” Gave birth to air due to the inspiration of Maya. But Shri Radha appeared there willingly. Shri Radha Rani Ji Kalindja Koolvarti Nikunj At that time she appeared in a beautiful temple of the state. It was the month of Bhadra Pada, Shukla Paksha. Ashtami Tithi, Anuradha Nakshatra, midday The time was 12 o’clock and it was Monday. That time The water of rivers becomes sacred on the birth of Radha ji. All the directions became happy and clear. Vrishabhanu and Kirtida took care of their daughter’s welfare. Anandayani two lakhs better than the wish of Donated cows to Brahmins.
It is also said that one day when Vrishbhanu When ji was passing by a lake, he saw a The girl was found floating on the “lotus flower”, which She adopted him as his daughter. Radha Rani ji was eleven months older than Shri Krishna. She was big. But Shri Vrishabhanu ji and Kirti Devi soon came to know about this That Shri Kishori ji by his appearance He has not opened his eyes. From this they I felt very sad when after some time Nand Maharaj That wife Yashoda ji will marry her beloved from Gokul. When she comes to Vrishbhanu ji’s house, Vrishbhanu ji and Kirti ji welcomes them Yashoda ji with Kanha in her lap Comes to Radha ji. And as soon as Shri Krishna And Radha comes face to face. Then Radha ji opens her eyes for the first time. Our To see the beloved Shri Krishna, he She looks at Lord Krishna, her beloved in the form of a beautiful girl in front of me Seeing this, Lord Krishna himself becomes very happy. whose Philosophy is rare even for great gods. After performing penance for hundreds of births, Even those whom we cannot glimpse, When Shri Radhika ji came to Vrishbhanu’s house Appeared here in physical form. And when the cows cry Started following them. gold studded and beautiful Sandalwood made of gems in the famous cradle being constantly rocked by friends Shri Radha every day during Shukla Paksha It started increasing like the phase of the moon…. What is Shri Radha?:- Colors of Raas Chandrika who illuminates the earth, Diwali Goloka of Vrishabhanu Temple Chudamani is the necklace of Shri Krishna. ours those We pay our respects to the Supreme Power. Hail Hail Lord Radhe…. Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe