एक साहूकार था जिसके सात बेटे, सात बहुएं और बेटी थी। सब कोई मिट्टी लेने गई तो मिट्टी खोदते समय नन्द एक के हाथ से स्याम का बच्चा मर गया। तब स्याऊ माता बाली। – कि मैं तेरी कोख बाधूगी। तब नन्द ने सब भाभियों से कहा कि मेरे बदले तुम अपनी कोख बंधवा लो। तो छः भाभियों ने तो मना कर दिया परन्तु छोटी भाभी ने सोचा अगर मैं अपनी कोख नहीं बंधवाऊंगी तो सासुजी नाराज होंगी इसलिए उसने अपनी कोख बंधवा ली। तब उसके बच्चा होता और हाई साते के दिन मर जाता।
एक पण्डित को बुलाकर पूछा कि क्या बात है जो मेरा बच्चा होई साते के दिन मर जाता है। तब उसने कहा कि तू सुरही गाय की सेवा कर। सुरही गाय स्याऊं माता की सहेली है। वह तेरी कोख छोड़ेगी तब तेरा बच्चा जिएगा। वह सुबह जल्दी उठकर सुरही गाय का काम कर आती। गऊ माता ने सोचा कि आजकल कौन मेरी सेवा कर रहा है। मेरी बहुएं तो काम करती हुई लड़ाई करती हैं तो गऊ माता ने सुबह उठकर देखा कि साहूकार के बेटे की बहू है जो सारा काम कर जाती है।
गऊ माता बोली तेरी क्या इच्छा है जो तू मेरा इतना काम करती है ? मांग क्या मांगती है। तो साहूकार की बहू बोली मुझे वचन दो तो गऊ माता ने वचन दे दिया।
तब वह बोली कि स्याऊं माता तुम्हारी सहेली हैं और स्याऊ माता ने मेरी कोख बांधी है सो तुम मेरी कोख छुड़वा दो। तब गऊ माता ने सात समुद्र पार अपनी सहेली के पास जाने लगी तो रास्ते में धूप थी।
वह एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर में एक सांप आया और पेड़ पर गरुड़ पंखनी का बच्चा था जिसको डसने लगा तो साहूकार की बहू ने सांप को मारकर ढाल के नीचे दे दिया और बच्चे को बचा लिया। गरुण पंखनी आई और साहूकार के बेटे की बहू को चोंच मारने लगी तो वह बोली कि मैंने तेरा बच्चा नहीं मारा। यह सांप तेरा बच्चा मार रहा था मैंने बचा लिया। तब गरुड़ पंखनी बोली कि तू क्या मांगती है। वह बोली सात समुद्र पार स्याऊं माता रहती हैं। हमको उसके पास पहुंचा दो तो गरुड़ पंखनी ने उन्हें अपनी पीठ पर बिठा कर स्याऊं माता के पास पहुंचा दिया तो स्याऊं माता बोली आओ बहन बहुत दिन में आई और स्याऊं माता बोली कि मेरे तो सिर में बहुत जूं पड़ गई। फिर साहूकार की बहू ने उसकी सारी जूं निकाल दीं। तब स्याऊं माता बोलीं तूने मेरी बहुत भलाई करी ।
इसलिए तेरे सात बेटे सात बहुएं हों। तो बहू बोली कि मेरे तो एक भी बेटा नहीं सात कहां से होंगे। तब स्याऊं माता बोलीं क्यों नहीं होंगे। तब वह बोली कि पहले मुझे वचन दो। स्याऊं माता ने कहा अगर मैं वचन से फिर जाऊं तो धोबी के घाट पर काकरी हो जाऊं। तब साहूकार की ” बहू ने कहा मेरी कोख तो तेरे पास बंधी पड़ी है। तब स्याऊं माता बोलीं तूने मुझे ठग लिया, मैं तेरी कोख खोलती नहीं परन्तु अब खोलनी पड़ेगी।
जा तेरे घर सात बेटे सात बहुएं मिलेंगी और सात उजमन करियो, सात होई माण्डियो, सात कड़ाही करियो। वह घर गई तो वहां देखा सात बेटे सात बहू बैठी हैं। बहुत धन हो गया। तो उसने सात होई मांडी, सात उजमन करे, सात कड़ाही करीं । सारी जिठानी बोलीं कि सब जल्दी-जल्दी पूजा कर लो नहीं तो वह रोने लग जाएगी। थोड़ी देर में उन्होंने अपने बेटों से कहा कि तुम्हारी चाची रोई क्यों नहीं। तो बच्चों ने देखकर आकर बताया कि चाची के यहां होई मण्ड रही है।
तब जिठानी भागकर गई और देखा कि कोख छुड़ा लाई है। तब वह बोली तुमने तो कोख बंधवाई नहीं, मैंने बंधवा ली। परन्तु स्थाऊं माता ने दया करके मेरी कोख खोल दी। हे स्याऊं माता ! जैसे साहूकार के बेटे की बहू की कोख खोली वैसा कहते सुनते सब परिवार की कोख खोलती जाइयो
There was a moneylender who had seven sons, seven daughters-in-law and a daughter. When everyone went to collect soil, while digging the soil, a Siamese child died at the hands of Nand Ek. Then Sayu Mata Bali. – That I will bear your womb. Then Nand told all the sisters-in-law to get their womb tied in place of me. So the six sisters-in-law refused but the younger sister-in-law thought that if she did not get her womb tied, her mother-in-law would be angry, so she got her womb tied. Then he would have had a child and would have died on the seventh day.
Called a Pandit and asked what was the matter that my child died on the seventh day of birth. Then he said that you should serve the Surhi cow. Surhi cow is a friend of Sayun Mata. Only when she leaves your womb will your child live. She would wake up early in the morning to tend the cow. Mother cow wondered who was serving her these days. My daughters-in-law fight while working, so mother cow woke up in the morning and saw that it was the daughter-in-law of the moneylender’s son who did all the work.
Mother cow said, what is your wish that you do so much work for me? What does the demand demand? So the moneylender’s daughter-in-law said, ‘Give me a promise’ and mother cow gave her promise. Then she said that Sayu Mata is your friend and Sayu Mata has tied my womb, so you free my womb. Then mother cow started crossing the seven seas to reach her friend and there was sunshine on the way.
She sat under a tree. After some time, a snake came and there was a child of Garuda Pankhani on the tree, which started biting, so the moneylender’s daughter-in-law killed the snake and put it under the shield and saved the child. Garun Pankhani came and started pecking the daughter-in-law of the moneylender’s son, then she said that I did not kill your child. This snake was killing your child, I saved him. Then Garuda Pankhani said what do you ask for? She said, Sayu Mata lives across the seven seas. If you take us to her, then Garuda Pankhani made her sit on her back and took her to Syaun Mata, then Syaun Mata said, come sister, after a long time, Syaun Mata said that I have a lot of lice in my head. Then the moneylender’s daughter-in-law removed all his lice. Then Sayu Mata said, you have done me a lot of good.
Therefore you should have seven sons and seven daughters-in-law. So the daughter-in-law said that I don’t have even one son but where will I get seven. Then Sayu Mata said why not? Then she said give me your promise first. Sayun Mata said that if I go back from my promise, I will become a crow at the washerman’s ghat. Then the moneylender’s daughter-in-law said, “My womb is lying tied with you.” Then Siya Mata said, “You have cheated me, I would not have opened your womb but now I will have to open it.”
Go to your house, you will get seven sons and seven daughters-in-law and cook seven utensils, seven hoi mandis, seven pans. When she went home, she saw seven sons and seven daughters-in-law sitting there. Got a lot of money. So he made seven pots, seven pots, seven pans. All the sister-in-laws told her to do the puja quickly otherwise she would start crying. After some time he asked his sons why your aunt did not cry. So the children came and told that there was a feast at aunty’s place.
Then the sister-in-law ran and saw that she had released the womb. Then she said, you did not get the womb tied, I got it tied. But out of pity, mother Stahu opened my womb. Oh dear mother! Just as the moneylender’s son opened the womb of his daughter-in-law, keep opening the womb of the family.